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मप्र सरकार ने अब मोटे अनाज यानि मिलेट्स को और अधिक बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश राज्य मिलेट्स मिशन की स्थापना की जाएगी. कैबिनेट ने इसको मंजूरी देकर इस किस्म के अनाज को और प्राथमिकता दे दी. ईयर ऑफ़ मिलेट्स 2023 घोषणा के बाद भारत सरकार के साथ मप्र सरकार भी इस प्रोडक्ट के कई प्रोजेक्ट लागू कर रही है. सरकार के इस निर्णय के साथ मिलेट्स मिशन यानि सेहत की नई उम्मीद जागी है.
कैबिनेट की ओर से चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा - "सरकार मोटे अनाज की पैदावार को बढ़ाएगी. किसानों को को इस खेती के प्रति जागरूक करेगी. यहां तक कि किसानों को इस मोटे अनाज की खेती की समझ बढ़ाने के लिए शासन स्तर पर ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की जाएगी." प्रदेश के आदिवासी अंचल में सालों पहले मोटे अनाज कोदो-कुटकी सहित कई तरह की प्राकृतिक खेती करते रहे. डिंडौरी ,बालाघाट, मंडला जिले में किसान इसका उपयोग खाने के लिए करते थे. कम कीमत और कम पैदावार का असर यह हुआ की हमारी पहचान समय के साथ ख़त्म हो गई.
मिलेट्स को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार ने शासकीय आयोजनों में भोजन में मिलेट्स की डिश को शामिल करना अनिवार्य कर दिया. साथ ही छात्रावासों और मिड डे मील में भी इसे जरुरी कर दिया है. इस साल इसका बजट 23 करोड़ रुपए रखा गया है। न्यूट्रीशियन मेघा शर्मा कहती हैं- "सरकार का यह निर्णय राजनितिक नहीं बल्कि सेहत को बढ़ावा देने वाला माना जाना चाहिए. ज्वार,कोदो,कुटकी और ऐसे ही अनाज में फाइबर सबसे ज्यादा होता है. साथ ही कर्बोहायड्रेड कम होने से पाचन के लिए सरल और शुगर पेशेंट के लिए बहुत फायदेमंद होता है." हाल ही में G 20 सम्मेलन की अध्यक्षता भी इस साल भारत कर रहा है. इस आयोजन में भी विदेशी मेहमानों के लिए खासतौर पर मिलेट्स से तैयार डिश परोसी गई थी. होटल्स के शैफ का कहना है -"बड़े-बड़े शहरों में भी मिलेट्स कैफे का चलन बढ़ा है. सरकार के मिशन स्थापना के बाद मिलेट्स की खेती और पैदावार बढ़ने की उम्मीद के साथ सेहत को फायदा मिलेगा.यह निर्णय स्वागत योग्य है."