Claudia Goldin
क्लाउडिया गोल्डिन की रिसर्च ने यह भी बताया कि श्रम बल की भागीदारी और वेतन में अभी भी लैंगिक अंतर है और इन अंतरों को दूर करने से भारत की GDP में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है।
क्लाउडिया गोल्डिन की रिसर्च ने यह भी बताया कि श्रम बल की भागीदारी और वेतन में अभी भी लैंगिक अंतर है और इन अंतरों को दूर करने से भारत की GDP में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है।
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अमेरिकी डेटा से निकाले गए उनके कई निष्कर्ष, सांस्कृतिक और भौगोलिक मतभेदों के बावजूद, भारत सहित कई दूसरे देशों पर लागू होते हैं
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क्लाउडिया गोल्डिन की रिसर्च से पता चला कि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी (FLFPR) समय के साथ यू-आकार के पैटर्न में बदली. शुरूआती कृषि अर्थव्यवस्थाओं में महिला भागीदारी ज़्यादा रही, औद्योगिक फेज के दौरान गिरावट आई, और फिर जब अर्थव्यवस्थाएं सर्विस-सेंट्रिक हुईं तो महिलाओं की भागीदारी फिर से बढ़ गई.
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भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर कम है. यह अंतर पारिवारिक आय और सामाजिक मानदंडों जैसे कारकों से प्रभावित होता है.
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कम आय वाले परिवारों में महिलाओं के लिए बाहर जाकर काम करना ज़रूरी हो जाता है, जिससे FLFPR में बढ़ोतरी होती है. जैसे-जैसे पारिवारिक आय बढ़ती है, महिलाएं घरेलू और बच्चों की देखभाल जैसी ज़िम्मेदारियों पर ध्यान देने के लिए कार्यबल से हट जाती हैं.
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क्लाउडिया गोल्डिन की रिसर्च ने यह भी बताया कि श्रम बल की भागीदारी और वेतन में अभी भी लैंगिक अंतर है और इन अंतरों को दूर करने से भारत की GDP में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है
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