ट्रांसजेंडर भी अब ओबीसी

सरकार की आरक्षण मुहर ट्रांसजेंडर को आरक्षण से कितना फायदा मिलता है. कितने आत्मनिर्भर बन पाते है. यह आने वाला वक़्त बताएगा.फ़िलहाल सरकार ने एक पहल जरूर की है.

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OBC third gender

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थर्ड जेंडर मतलब घरों में शगुन हो ,शादी हो या कोई नई रस्म... घर के दरवाज़े पर ताली बजाते और नेग मांगते अलग अंदाज़ में गीत गाते हुए डांस करने वालों के लिए यही सोच है तो बदल लीजिए. अब समाज के साथ सरकारें भी इस ख़ास समाज के लिए ख़ास संजीदा है. समाज में बराबरी के अवसर देने के लिए चुनाव में हिस्सेदारी का जहां मौका दे रही वहीं मप्र सरकार ने कैबिनेट की मुहर लगाकर इस थर्ड जेंडर / ट्रांसजेंडर सदस्यों के लिए रोजगार के नए रस्ते खोल दिए. 

थर्ड जेंडर या ट्रांसजेंडर को लेकर एक बड़ा तबका अब भी घरों में उनकी उपस्थिति को शगुन और अपशगुन में उलझा हुआ है. जबकि बायोलॉजिकल और हार्मोनल परेशानियों की वजह सबसे बड़ा कारण ये समाज है. मुख्य धारा में जोड़ने के लिए समाजसेवी और सरकारें नई पहल कर रही है. प्रदेश सरकार ने ट्रांसजेंडर को और अवसर देने के लिए पिछड़े वर्ग में दर्जा देने का निर्णय लिया है. सामान्य गणना में इस समय 30 हजार से ज्यादा ट्रांसजेडर प्रदेश में रहते हैं. 

ट्रांस जेंडर के निजी जीवन और उनकी परेशानियों को लेकर कई एंगल पर रिसर्च किए गए. कुछ ऐसे उदाहरण भी सामने जाए हैं जहां समाज की पुरानी धारणाओं को ख़ारिज कर दिया. इसमें सागर की पूर्व महापौर गौर हो या देश की पहली ट्रांसजेंडर जज जोयोता मंडल, नाज़ जोशी हो या लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी हो,ये मिसाल हैं. इन्होंने सरकारों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि यदि अवसर और सम्मान मिले तो ट्रांसजेंडर हर क्षेत्र में ख़ास मुकाम हासिल कर सकते हैं.

सरकार ने ट्रांसजेंडर को पिछड़े वर्ग में शामिल कर दिया लेकिन इस समाज को इसका लाभ दिलाने के लिए समाजसेवी और अन्य वर्ग को आगे आना पड़ेगा. सरकार सरकारी नौकरियों में अवसर तो देगी लेकिन उनकी पढाई के लिए भी उनको प्रोत्साहित करना पड़ेगा. अभी भी एक बड़ा तबका ट्रांसजेंडर में गुरु परंपरा और सम्मेलनों के आयोजनों में ही अपना जीवन समेटे हुए है. सरकार की आरक्षण मुहर ट्रांसजेंडर को आरक्षण से कितना फायदा मिलता है. कितने आत्मनिर्भर बन पाते है. यह आने वाला वक़्त बताएगा.फ़िलहाल सरकार ने एक पहल जरूर की है. 

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