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रिटायरमेंट की उम्र में जब व्यक्ति शिथिल और खुद को समेटता है उस वक़्त एक शख़्स ने अपनी ज़िंदगी फूलों के नाम कर दी.मानना है कि तनावभरी ज़िंदगी,भागदौड़ के बीच बागवानी धैर्यता का पर्याय है.
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