एंजेलीना जोली (Angelina Jolie) एक अभिनेत्री (actress) और फिल्म निर्माता (film maker) हैं, जिन्होंने एक अकादमी, दो एसएजी अवॉर्ड और तीन गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स जीते हैं. उनके द्वारा लगातार किये जा रहे मानवीय कार्य उन्हें इतना अद्भुत बनाते हैं. एंजेलिना जोली ऑन स्क्रीन के साथ-साथ अपने ऑफ स्क्रीन कामों से भी चर्चा में रहती है. वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के साथ जुड़ी हुई है. वे LSE (लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स) में महिला, शांति और सुरक्षा के बारे में पढ़ाती है.
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वे शरणार्थियों (refugees) और महिलाओं के अधिकारों के साथ-साथ बच्चों और किशोरों से सम्बंधित मुद्दों पर भी खुलकर बात करती है. उन्होंने तीन बच्चों को गोद लिया और कई लोगों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्हें ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर पर बेझिझक बात करते देखा गया. युद्ध से प्रभावित देशों में वह महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लगातार उजागर करती रही है. इसके अलावा, उन्होंने फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन और बाल विवाह की कुप्रथा पर सरकारों का ध्यान आकर्षित करने के लिए काम किया. मानवीय प्रयासों के लिए जोली को जीन हर्शोल्ट ह्यूमैनिटेरिअन अवॉर्ड (The Jean Hersholt Humanitarian Award) से सम्मानित किया गया.
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जोली ने कहा, "समानता का मतलब हम सभी का एक जैसा होना नहीं है. महिलाओं की आज़ादी पुरुषों की कीमत पर नहीं, बल्कि पुरुषों के साथ मिलकर अपनी पसंद के हिसाब से जीने में है. यह आज़ादी एक दूसरे को नीचे ले जाने के बारे में नहीं है बल्कि एक दूसरे को ऊपर उठाने के बारे में है."
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UN सभा को सम्बोधित करते हुए एंजेलिना जोली ने कहा था, "दुनिया, हिंसा और संघर्षों के चक्र में फंसी रहेगी जब तक कि राष्ट्र महिलाओं की समानता, अधिकारों और भागीदारी के मुद्दों को प्राथमिकता नहीं देंगे." जोली आगे कहती है, "दुनिया भर में सफल और प्रेरक महिलाओं के कई उदाहरण हैं, लेकिन महिलाएं और लड़कियां अभी भी युद्ध के शिकार लोगों में से अधिकांश हैं. दुनिया में यौन पीड़ितों की संख्या का एक बड़ा हिस्सा महिलाओं का है. आगे उन्होंने टॉप पोज़िशंस पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का सुझाव दिया.
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उनके खुलकर इन मुद्दों पर बात करने की वजह से ही उन्हें एक फेमिनिस्ट आइडल माना गया. उन्होंने उन महिलाओं के मुद्दों को उठाया जिनकी बात नहीं की जाती, जो महिलाओं के अधिकारों के दायरे में नहीं आती. एंजेलिना जोली जैसी प्रभावशाली महिलाएं अगर UN जैसे वर्ल्ड प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं के अधिकारों का मुद्दा उठाएंगे, तो ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाना आसान हो सकेगा.