एबॉर्शन (abortion) एक बेसिक हेल्थ केयर अधिकार (health care right) है, इसके बावजूद आज 20 देशों में एबॉर्शन गैर कानूनी (illegal) है. सामाजिक, धार्मिक,पारंपरिक और राजनीतिक वजहों से गर्भपात पर रोक लगाई जाती है. दुनियाभर में ऐसी कई खबरें मिल जब एक महिला की मौत सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि उसके पास गर्भपात का अधिकार नहीं था. पोलैंड (Poland) में भी एक ऐसी ही घटना सामने आई. 33 वर्षीय फार्मासिस्ट डोरोटा लालिक (Dorota Lalik) दक्षिणी पोलिश शहर नोवी टार्ग में पोप जॉन पॉल अस्पताल (Pope John Paul) में जांच के लिए गई. वह उस वक़्त पांच महीने की गर्भवती (pregnant) थी. इस घटना के बाद पोलैंड में एबॉर्शन राइट्स प्रोटेस्ट का सैलाब आ गया. लोग पोलिश सरकार से गर्भपात नियमों में बदलाव की मांग करने लगे.
समय रहते गर्भपात कर डोरोटा लालिक की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन वहां के नियमों की वजह से डॉक्टरों ने ऐसा नहीं किया. 3 दिन के बाद जब एबॉर्शन किया गया, तो सेप्टिक शॉक (septic shock) और कई ऑर्गन फेलियर (multiple organ failure) की वजह से डोरोटा की मौत हो गई. उनके परिवार ने डॉक्टरों (doctor) पर इल्ज़ाम लगाया कि उन्हें सही जानकारी नहीं दी गई.
यूरोपीय संघ (European Union) के सबसे सख्त गर्भपात कानून पोलैंड में हैं, जहां केवल बलात्कार (rape) या इन्सेस्ट (incest) के मामलों में, या महिला का जीवन खतरे में है, तभी गर्भपात की अनुमति है. ऐसे में, एबॉर्शन लीगल (legal) है या नहीं, डॉक्टर द्वारा तय किया जाता है. डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों का कहना है कि उन्हें अनुचित "मीडिया लिंच" का शिकार होना पड़ रहा है, जिससे मरीजों के साथ उनके रिश्ते को नुकसान ही होगा.
बढ़ते विरोध के चलते, पोलिश स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की कि सरकार ने "एक टीम का गठन किया गया है जो गर्भपात की ज़रुरत पड़ने वाली स्थितियों के लिए दिशानिर्देश तैयार करेंगे."
गर्भपात के अधिकार का महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों पर गहरा असर पड़ता है. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि महिलाओं के लिए अपने शरीर पर कंट्रोल रखने, अपने प्रजनन स्वास्थ्य (reproductive health) को लेकर सही विकल्प चुनने और अपने शैक्षिक और करियर लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए सुरक्षित गर्भपात (safe termination of pregnancy) तक पहुंच ज़रूरी है. गर्भपात के अधिकारों के लिए चल रहा संघर्ष महिला के खुद से जुड़े फैसले लेने की आज़ादी में सामाजिक मूल्यों और कानूनी ढांचों की भूमिका को उजागर करता है. तकनीक की बदौलत आज स्वास्थ सेवाओं ने तरक्की की है. पर, महिलाओं के स्वास्थ्य (women's health) और अपने शरीर से जुड़े फैसले लेने के अधिकार की लड़ाई अभी जारी है.