दुनियाभर के कई देशों में गरीबी (poverty) आज भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. विश्व बैंक की गरीबी और साझा समृद्धि रिपोर्ट 2022 (World Bank’s Poverty and Shared Prosperity Report 2022) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 62.8 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में रहते हैं. कई सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक वजहें लोगों की संसाधनों और अवसरों तक पहुंच को सीमित करते हैं और उनकी क्षमता को बाधित करते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को गरीबी और उससे जुड़ी समस्याओं का ज़्यादा सामना करना पड़ता है. वैश्विक स्तर (global level) पर महिलाओं की आमदनी पुरुषों की तुलना में 24% कम होती है. देशों की सरकारें महिलाओं को वर्कफोर्स (workforce) में जोड़ने के लिए काफी जतन कर रही हैं, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके. विकासशील देशों में इस समस्या को हल करने के लिए स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) कारगर साबित हो रहे हैं. बांग्लादेश (Bangladesh) भी उन देशों में से एक है.
बांग्लादेश के राजशाही गांव में हर दिन सुबह के काम निपटाकर महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) की सदस्य इकट्ठा होती हैं. गजोर नारी उन्नयन SHG की महिलाएं बचत करने, बहीखाता देखने, ट्रेनिंग में भाग लेने, और गरीबी और भूख के खिलाफ लड़ने के लिए पीली साड़ियों में घर से बाहर निकलती हैं. SHG के ज़रिये इन महिलाओं को एक दूसरे के साथ की शक्ति मिलती है - वही शक्ति जिससे ये सामाजिक मुद्दों को ख़त्म करती हैं, अपना रोज़गार शुरू कर आर्थिक आज़ादी (financial independence) हासिल करती हैं. अपनी ताकत, कौशल, और संपत्ति को इकट्ठा कर सशक्त बनने की राह पर निकलती हैं.
Image Credits: Pranab K. Aich/Heifer International
स्वयं सहायता समूह समान सामाजिक-आर्थिक (socio-economic) तबके के 15-25 सदस्यों से बना एक समूह होता है. स्वयं सहायता समूह विकास मॉडल पर काम करते हैं जो ट्रेनिंग, माइक्रो क्रेडिट (micro-credit), और बचत की सुविधा देते हैं जहां शिक्षा, आजीविका और सामाजिक अवसर कम हैं. सदस्य एक जैसे लक्ष्यों जैसे कि आत्मनिर्भरता, आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक सशक्तिकरण (social empowerment) को हासिल करने के लिए एकजुटता से काम करती है.
“पहले मैं अकेली थी, लेकिन जब मैं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी … मैं अपने जैसी कई महिलाओं से मिली. हम बचत करते हैं और एक दूसरे से सीखते हैं” किसान और सहज सदस्य मरजान खातून ने बताया.
स्वयं सहायता समूह के सदस्य हर हफ्ते या हर महीने सामूहिक बचत कोष में तय की हुई छोटी राशि जमा करता है. इस रिजर्व का इस्तेमाल समूह के सदस्यों को कम ब्याज दर पर छोटे लोन देने में होता है. सदस्यों को छोटा बिज़नेस शुरू करने, खेतों में निवेश करने, या अचानक आये खर्चों से निपटने में मदद मिलती है. बचत खाते खोलने, सब्सिडी, सरकारी सहायता और लोन लेने के रास्ते खुल जाते हैं, जिसकी वजह से वित्तीय साक्षरता के लेवल में सुधार आता है. गजोर उन्नयन नारी दल के सदस्यों ने आमदनी का ज़रिया शुरू करने के लिए बचत कर बकरियां खरीदी. खुदका रोज़गार शुरू कर महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ता है और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार आता है.
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ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिए हेफ़र इंटरनेशनल फाउंडेशन (Heifer International Foundation) महिलाओं को SHG शुरू करने में मदद करता है. कम्युनिटी ट्रेनर्स (community trainers) को बचत और ऋण, कृषि उत्पादन तकनीकों और बिज़नेस को बढ़ाने के तरीको पर ट्रेनिंग दी जाती है. बांग्लादेश में, हेफ़र करीब 2,500 स्वयं सहायता समूहों में 64 हज़ार से ज़्यादा महिला किसानों के साथ काम कर रहा है, जिसमें 43 कृषि सहकारी समितियां भी शामिल हैं. विश्व स्तर पर, हेफ़र स्वयं सहायता समूहों के ज़रिये लाखों किसानों की सहायता कर रहा है. हेफ़र से जुड़कर किसान कृषि उत्पादन में सुधार कर रहे हैं, फसल और पशुधन मूल्य श्रृंखलाओं को मजबूत कर रहे हैं, लाभदायक ग्रामीण व्यवसाय शुरू कर रहे हैं और स्थानीय स्तर पर सामाजिक बदलाव ला रहे हैं.
“सामुदायिक स्तर पर मैंने कई बदलाव देखे हैं. महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है, पहले उनके पास मानों आवाज़ ही नहीं थी." हेफ़र की कम्युनिटी फैसिलिटेटर रिया शेख ने बताया.