एक सुन्दर सी दुनिया, जहां लोग प्यार से रहें, बिना लड़े... बिना किसी भेदभाव के... बिना किसी को खुद से छोटा समझे... बिना किसी नफरत के... बस खुश हो और एक दूसरे को भी खुश देखना चाहते हो ! सुनने में एक सपने जैसा लगता है ना? लेकिन ये सपना हक़ीकत है, ब्राज़ील के एक गांव, Noiva do Cordeiro की. हां यकीन करना मुश्किल है कि इस नफ़रत से भरी दुनिया में जहां हर इंसान एक दूसरे को हराने में लगा है वह एक ऐसा भी देश है, जहां लोग सिर्फ प्यार करना और जीना जानते है. और हो भी क्यों ना, यह देश सिर्फ महिलाएं चला रही है. हर काम, हर बात, हर फैसला, सिर्फ महिलाओं कि ज़िम्मेदारी है.
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कोई चर्च नहीं, कोई hierarchies नहीं, कोई विशेषाधिकार नहीं और सबसे बड़ी बात, कोई हिंसा नहीं है. गाँव की central figure है, एक बूढ़ी महिला है: मातृ प्रधान डेलिना. कोई झगड़ा हो तो, कोर्ट में जज नहीं बल्कि, आपस में सब बैठकर लंभी बातचीत कर उस परेशानी को सुलझाते हैं. कोई इंसान किसी से बड़ा या छोटा नहीं हैं क्यूंकि सब बराबर कमातें हैं. हर प्यार और प्यार करने वाले को समान इज़्ज़त दी जाती है, चाहे फिर वो समलैंगिक प्रेम (Homosexual Love) क्यों ना हो ! कोई बीमार हो तो पूरा गांव आता है मदद करने, बच्चों भी संभालना हो तो सब तैयार है. गांव के बीचोबीच एक विशाल सामुदायिक भवन है. गांव का हर व्यक्ति, इस भवन को अपना दूसरा घर मानता है. यहाँ हर दिन सब मिलते है औरसाथ खनन खाते है, धूम्रपान करते हैं, नाचतें हैं और जश्न मनाते हैं.
दुनिया से अलग, यह सब चल रहा है एक महिला की सत्ता में. गांव में महिला शासन की शुरुआत 1950's में हुई जब 16 वर्षीय डेलिना से शादी चर्च के एक priest से की गयी. उस वक़्त सब कुछ बहुत बुरा था. कोई संगीत नहीं, कोई जश्न नहीं, सिर्फ चर्च में प्रार्थना के कई घंटे. उस वक़्त बाकी दुनिया की तरह यहाँ भी एक महिला को पुरुष की तुलना में कम मान्यता दी जाती थी. लेकिन बाकी दुनिया की तरह यहाँ की महिलाएं चुप बैठने वालों में से नहीं थी. 90 के दशक की शुरुआत में महिलाओं ने आखिरकार विद्रोह किया. वे सब पुरुष प्रधान सोच से दूर जाना चाहतीं थी. उन्होंने धर्म पर प्रतिबंध लगा दिया, क्यूंकि वे सब ख़ुशी के साथ मिलजुल कर रहना चाहते थे, समुदाय में रहना चाहते थे.
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आज यह गांव पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन चूका है. सिर्फ नफ़रत और झगड़ों को तवज्जो देने वाली इस दुनिया को Noiva do Cordeiro जैसी सोच और समझदारी की सख़्त ज़रूरत है. ज़रा सोच कर देखिये, अगर एक दिन के लिए पूरी दुनिया Brazil के इस छोटे से गांव जैसे हो जाए और सब एक साथ मिलकर जीना सीख जाए तो सब कुछ कितना आसान हो जाएगा. कोई शर्त नहीं, कोई धर्म नहीं, कोई अंतर नहीं, बचेगा तो सिर्फ शान्ति और प्यार! जब बागडोर महिलाओं ने अपने हाथ में ली और समूह में काम करने लगी, तब यह सब बदलाव आए और आज यह गांव दुनिया की सबसे ज़्यादा शांत जगहों में से एक है.
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जब बागडोर महिलाओं ने अपने हाथ में ली और समूह में काम करने लगी, तब यह सब बदलाव आए और आज यह गांव दुनिया की सबसे ज़्यादा शांत जगहों में से एक है. दुनिया में बहुत देश में महिलाओं के समूह एक साथ काम करते है. स्वयं सहायता समूह या Self Help Group भी इस बात का जीता जागता उदहारण है कि जब महिलाएं किसी भी कार्य को खुद करना शुरू करतीं है तो परेशानियां कही दूर चली जाती है और काम आसानी से और बिना भेदभाव के पुरे हो जातें है.