भारत पाकिस्तान, ये शब्द सुनते ही ख़्याल में सिर्फ जंग और तनाव ही आता है. लेकिन अगर देखा जाए, तो दोनों पड़ोसी देशों में ऐसी बहुत सी बातें है जो एक जैसी है. दुनिया का हर देश चाहता है कि उनकी महिलाएं आगे बढे. किसी भी मुल्क कि नीव को बेहतर बनाने के लिए महिलाओं का सशक्त होना बेहद ज़रूरी है. पाकिस्तान की सरकार भी इस बात को जानती है, और इसीलिए अपनी महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने को प्रेरित करती रहती है. भारत की तरह पाकिस्तान का भी प्रार्थमिक उद्देश्य अपनी देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से आज़ाद करने के लिए माइक्रोफाइनैंस से जोड़ना है. पूरी दुनिया में माइक्रोफाइनैंस की पहुंच सबसे कम है पाकिस्तान में.
माइक्रोफाइनेंस उन लोगों को वित्तीय सेवाएं देता है जो गरीबी के कारण बैंकिंग क्षेत्र से दूर है. यह मॉडल महिलाओं को छोटे कर्ज़े प्रदान करता है, जिनके पास बैंकिंग सेवाओं तक सीमित पहुंच होती है. पाकिस्तान में इस मॉडल पर ना के बराबर काम किया जाता है. भारतीय उपमहाद्वीप के देशों में Self Help Group बहुत सफल महिला विकास कार्यक्रम है. हमारे पड़ोसी देश भी इस कार्यक्रम में बहुत आगे है लेकिन पाकिस्तान इसमें पिछड़ा हुआ है.
FINCA इंटरनेशनल एक नॉन प्रॉफिट माइक्रोफाइनेंस ऑर्गनाइज़ेशन है जो पाकिस्तान में भी काम करता है. इस संगठन ने विलेज बैंकिंग मॉडल विकसित किया है जो दुनिया भर के कई देशों में काम कर रहा है. इसमें व्यक्तियों के छोटे समूह बनाना शामिल है जो पारंपरिक सहायता प्रदान करते हैं और छोटे कर्ज़े प्राप्त करते हैं. पाकिस्तान में FINCA शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में ध्यान केंद्रित कर रहा है, और पहले से स्थापित छोटे व्यवसायों को सफलतापूर्वक कर्ज़ा प्रदान कर रहा है.
माइक्रोफाइनेंस का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर सकारात्मक सामाजिक प्रभाव पैदा करना है. मौजूदा आर्थिक मंदी पाकिस्तान में माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है. पाकिस्तान की आबादी में गरीबी के स्तर को देखते हुए यह समझना मुश्किल नहीं है कि माइक्रोफाइनांस इंस्टीटूशन्स को काम का बहुत दबाव होता होगा. भारत देश में जिस तरह से इस मॉडल को विकसित किया गया है, वह बहुत ही सराहनीय है. पाकिस्तान को भी अपनी आबादी को साक्षर बनाने के लिए भारत के नक़्शे कदम पर चलकर काम करना होगा ताकि उनके वित्तीय हालातों में सुधार आए.