SHG आज न केवल भारत में, पर दुनियाभर के कई देशों की महिलाओं में बदलाव की आस जगा रहें हैं. इन्ही में से फ़िलीपीन्स एक ऐसा देश है जहां SHG ने सफ़ल बन स्वसहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक आज़ादी का पाठ पढ़ाया. फ़िलीपीन्स दक्षिण-पूर्व एशिया का एक बड़ा द्वीप समूह है जहां पर ग़रीबी, असमानता, बेरोज़गारी बड़े मुद्दे हैं. भौगोलिक तौर पर एक द्वीप समूह होने के बाद भी इस राष्ट्र की अर्थव्यवस्था दुनिया की 29वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
लगभग 109 मिलियन की आबादी वाले फ़िलीपीन्स ने SHG को ग़रीबी से उभरने और महिलाओं की कमाई का विश्वसनीय ज़रिया माना. सालों की कोशिशों के बाद स्वसहायता समूहों ने महिलाओं तक आसान लोन पहुंचाया. SHG से होने वाली कमाई से फिलिपीनो महिलाओं ने बचत की और उस से मिले लोन को अपने परिवार की शिक्षा - स्वास्थ्य में लगाया. इस लोन की चाबी ने महिलाओं के लिए ख़ुद का काम शुरू करने के कई दरवाज़े खोले.
15-25 महिलाओं ने समूह बनाकर फाइनेंशियल लिटरेसी, बचत के सही उपयोग, काम के मैनेजमेंट जैसे विषयों को समझा, नए दोस्त बनाये और सांस्कृतिक व सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लिया. 23 SHG और 2 रजिस्टर्ड फेडरेशंस दो बारंगे (एक छोटा क्षेत्रीय और प्रशासनिक जिला) में काफ़ी सक्रीय रूप से काम कर रहें हैं.
14,480 के आबादी वाले बारंगे, साइटियो लिनाओ की नौ महिलाएं एक SHG के ज़रिये साथ आई. Oxfam Pilipinas और SIKAT Inc. ने SHG की शुरुआत द्वीप समुदाय की महिलाओं के साथ की. सभी सदस्यों ने हर हफ़्ते 50 फ़िलीपीनि पेसो की बचत की. इस बचत का इस्तेमाल उन्होनें सूअर पालने का काम शुरू करने में किया. सदस्य शर्ली बतातीं हैं कि, "मेरे पति सोचते थे कि यह समूह केवल दोस्त बनाने और कुछ ट्रेनिंग के लिए है, जब उन्हें पता चला की मैं इस SHG से जुड़करपेसोभी कमा रहीं हूं तो वह हैरान हो गए."
वोसेस ने बताया उनके पति मछुआरे हैं, पहले उनकी कमाई से घर चल जाया करता था. पर अब गैसोलीन के बढ़ते दाम और मछलियों की कमी ने गुज़ारा करना मुश्किल कर दिया. सूअर पालने के इस काम ने उनके पति के बोझ को बांटने में मदद करी."
Oxfam Pilipinas और SIKAT Inc. ने न केवल महिलाओं को अपने छोटे काम को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया बल्कि उन्हें फाइनेंशियल लिटरेसी की ट्रेनिंग देकर अचानक आई मुसीबत के लिए बचत करना भी बताया. कम ब्याज पर लोन देकर महिलाओं को अवैध साहूकारों से भी बचाया.
सारंगानी प्रांत में सरकारी डेंटिस्ट लिएलानी मालिनाओ की 200 पेसो की आमदनी जब कम पढ़ने लगी तो वो SHG से जुड़ गईं. 17 और महिलाओं के साथ मालिनाओ ने पैसा बचाने, बजट बनाने और जीवन कौशल की अहमियत को समझा. वह अब सात स्वसहायता समूहों का संचालन कर रहीं हैं. दक्षिणी फ़िलीपीन्स में कई ग्रामीण महिलाएं नोट्रे डेम सिस्टर्स के हेस्ड फाउंडेशन द्वारा शुरू किए गए इस स्वसहायता समूह से आत्मविश्वास, आर्थिक आज़ादी और साथ हासिल करती हैं.
SHG के अनुभवी सदस्यों ने आस-पास के पहाड़ी समुदायों में जाकर पाँच- छह महिलाओं के कई समूह बनवाये. जिस से शहर से दूर रह रहीं महिलाएं भी अपने परिवार के लिए कुछ कर सकें. SHG से जोड़ने में अधिकारियों को विरोध का सामना करना पड़ा. पुलिस और वहां के लोगों ने सोचा ये पैसे इकट्ठा कर असामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देंगे. लगातार वहां जाने और उन्हें फाइनेंशियल लिटरेसी के बारे में समझाने के बाद महिलाओं ने विश्वास किया और समूह से जुड़ीं. इन महिलाओं ने पैसे बचाकर शहर से चावल और डिब्बाबंद सामान लाकर अपने पड़ोसियों को बेचा. सभी का दूर आने जाने का खर्चा बचा. आस-पास के लोगों ने उन्हें और भी घरेलु सामान बेचने का कहां.
जोफ़ी वाल्डेज़ बतातीं हैं कि पहले उनमे इतनी झिझक थी कि वो अपनी बेची हुई मछलियों के पैसे भी नहीं मांग पाती थी. लेकिन SHG ने उनमे आत्मविश्वास जगाया कर लोगों का सामना करना, उन्हें समझना, और पैसे बचाना सिखाया. मेल्बा टांडी ने साझा किया कि SHG ने आर्थिक आज़ादी के साथ ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की हिम्मत भी दी. SHG से जुड़कर वो घरेलु हिंसा के माहौल से निकलकर अपने पैरों पर खड़ी हो पाई हैं.
SHG की ये पहल दुनियाभर में चुनौतियों को पार करती दूरदराज़ की जगहों में पहुंची. SHG ने महिलाओं को अपनी बात कहने, सपने पूरे करने, और अपने पैरों पर खड़े होने का साहस दिया. दुनिया भर में कई महिलाएं आज भी SHG का रास्ता तक रहीं हैं. उम्मीद है सरकारें और महिलाओं की आर्थिक आज़ादी की दिशा में काम कर रहीं संस्थाएं ग़ौर करेंगी और उन जगहों में भी SHG की शुरुआत हो सकेगी जहां महिलएं बदलाव और बेहतर ज़िन्दगी की आस लगाए बैठीं हैं.
फ़िलीपीन्स में 92% आबादी ईसाई धर्म का पालन करती है. चर्च ने समाज व संस्कृति पर गहरा असर डाला. चर्च ने SHG को महिलाओं के बदलाव का एक साधन बनाया. जैसे फ़िलीपीन्स में धर्म ने महिलाओं की स्थिति में बदलाव की पहल की है वैसे ही दुनियाभर के धर्म ओर पंथ सार्थक पहल कर सकते हैं. ये एक उदाहरण है उस दौर के लिए जहां चारों ओर धर्म के नाम पर बहस छिड़ी हुई है, वहीं फ़िलीपीन्स से सीखकर सभी धर्मों को अपने-अपने देशों में कमज़ोर लोगों ख़ासकर महिलाओं के बदलाव के लिए काम करना चाहिए.
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