विश्व के भूगोल में नाइजीरिया (Nigeria) देश का एक अलग ही स्थान है. इस देश में कई ऐसी बातें है जो इस देश को अन्य देशों से अलग करती है जैसे भाषा, रहन सहन, वेश-भूषा, संस्कृति, धर्म, और व्यवसाय. नाइजीरिया में 500 से अधिक जातीय समूह हैं जिसमें होउसा, योरूबा और ल्ग्बो मुख्य जातीय समूह है. 2019 में, नाइजीरिया के सकल घरेलु उत्पाद (GDP) में 2.3% की बढ़ोतरी देखी गई. नाइजीरिया में राजनीतिक भ्रष्टाचार (corruption) की समस्या काफी बड़ी है और बुनियादी ढांचे की कमी भी है. लेकिन हाल ही में इसकी अर्थव्यवस्था (economy) तेज़ी से बढ़ रही है. नाइजीरिया में, खासकर उत्तरी नाइजीरिया में लैंगिक असमानता (gender inequality) व्यापक है. म्यूजिक इंडस्ट्री, एजुकेशन सेक्टर, और राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है. धन से संबंधित निर्णय पुरुष ही लेते हैं.
2022 मल्टीपल इंडिकेटर क्लस्टर सर्वे (Multiple Indicator Cluster Survey-MICS) के अनुसार, अफ्रीका (Africa) की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नाइजीरिया में 15-49 वर्ष की आयु के बीच की केवल 35 % महिलाओं के पास बैंक खाते हैं. ग्लोबल एमआईसीएस प्रोग्राम के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NBS) द्वारा 2021 में किए गए सर्वे से पता चलता है कि सर्वे में शामिल 38,806 महिलाओं में से 64.6 % (25,085) के पास बैंक खाते नहीं हैं.
महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (Self Help Group-SHG) की मदद से वंचित परिवारों और महिलाओं को बैंक खाते खुलवाने की जानकारी और वित्तीय शिक्षा दी जा सकती है. ग्रामीण महिलाएं अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए संसाधनों को एकत्र कर रही हैं. महिला SHG ने 35 लाख से ज़्यादा महिलाओं को उनके जीवन स्तर में सुधार करने में मदद की है. छह राज्यों में महिला स्वयं सहायता समूहों ने अपने सामूहिक उपयोग के लिए 2.6 बिलियन नायरा ($ 6 मिलियन) से अधिक की बचत की है. SHG से जुड़कर उन्हें सामाजिक, वित्तीय और व्यावसायिक कौशल में प्रशिक्षण मिल रहा है, जो महिलाओं को बड़े बाजारों तक पहुंचने और उनकी आजीविका में सुधार करने में मदद कर रहे हैं.
एनबीएस रिपोर्ट से पता चला कि कानो (5.7 प्रतिशत), कैटसिना (3.8 प्रतिशत), बाउची (3.2 प्रतिशत), कडुना (3.1 प्रतिशत), जिगावा और नाइजर (2.6 प्रतिशत) वे राज्य हैं जहाँ महिलाओं के खुद के बैंक खाते नहीं होने का दर सबसे ज़्यादा है. बैंक खाते नहीं होने के कारणों पर, 14.2 % महिलाओं ने कहा कि उनके इलाके में बैंक नही हैं, 5.7 % ने कहा कि नज़दीकी बैंक पहुंचने में काफी समय लगता है, 58.6 % ने अस्थिर आय और 22.8 % ने बेरोजगारी या नौकरी खोने की वजह बताई. दूसरी वजहों में बैंकों के प्रति विश्वास की कमी, धार्मिक कारण, डॉक्यूमेंटेशन में समय की बर्बादी, और बैंक खाता होने में कोई लाभ नहीं होना जैसी वजहें शामिल थी.
एक्सपर्ट्स ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए फाइनेंशियल इन्क्लूशन (Financial inclusion) पर ध्यान देने की सलाह दी. फाइनेंशियल इन्क्लूशन या वित्तीय समावेशन अत्यधिक गरीबी को कम करने और साझा समृद्धि को बढ़ावा देने का कारगर उपाय है. फाइनेंशियल इन्क्लूशन सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) 2030 का अहम हिस्सा है. एनबीएस ने कहा, "वित्तीय समावेशन को एसडीजी के सात लक्ष्यों को पूरा करने और गरीबी को कम कर समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक लाभदायक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है." आगे कहा, "यह गरीबी की दर को कम करने में मदद करता है, रोजगार उत्पन्न करता है, पूंजी बढ़ाता है, सामान्य कल्याण और जीवन स्तर में सुधार करता है, और समग्र आर्थिक विकास को गति देता है,"
2018 में फाइनेंशियल इन्क्लूशन दर 36.8 % से गिरकर 2020 में 35.9 % हो गया. "मोबाइल मनी एकाउंट्स (Mobile Money Accounts) के बढ़ने से महिलाओं, गरीब लोगों और अन्य समूहों को बेहतर सेवा देने के नए अवसर पैदा किए हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से औपचारिक वित्तीय प्रणाली से बाहर रखा गया है. अनुमान लगाया जा सकता है कि मोबाइल मनी एकाउंट्स लिंग अंतर को ख़त्म करने में मदद कर सकते हैं. नीति निर्माताओं को चल रहे परिवर्तन में अल्पसेवित जनसंख्या समूहों को शामिल करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है.
देश में स्वयं सहायता समूह महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए काफी कारगर साबित हो रहे हैं. एनबीएस के सुझाव को माने तो ये समूह फाइनेंशियल इन्क्लूशन को बढ़ावा देने में भी मदद करेंगे. आगे चलकर, ये दुसरे विकासशील देशों के लिए उदाहरण बनेंगे.