ज़िम्बाब्वे में बदलाव की कहानी लिखते SHG

ज़िम्बाब्वे को 18 अप्रैल, 1980 को यूनाइटेड किंगडम से आज़ादी मिली थी. पर आज भी यहां गरीबी, भुखमरी, लैंगिक असमानता, कुपोषण वर्तमान की कुछ बड़ी समस्याएं हैं. समस्या से निपटने के लिए महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अपनी आमदनी बढ़ाने का प्रयास करती हैं. 

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मिस्बाह
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self help groups in Zimbabwe

Image Credits: Hand in hand/Facebook

सबसे अधिक अधिकारिक भाषाओँ वाला देश ज़िम्बाब्वे (Zimabwe) अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिणी भाग में जाम्बेजी और लिम्पोपो नदियों के बीच स्थित एक लैंडलॉक (LandLock) देश है. यहाँ 16 अधिकारिक भाषाएं हैं. ज़िम्बाब्वे एक युवा राष्ट्र (young nation) है, क्योंकि आधी आबादी 21 साल से कम उम्र की है. ज़िम्बाब्वे को 18 अप्रैल, 1980 को यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) से आज़ादी मिली थी. पर आज भी यहां गरीबी, भुखमरी, लैंगिक असमानता, कुपोषण वर्तमान की कुछ बड़ी समस्याएं हैं. समस्या से निपटने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. महिलाएं स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups-SHG) से जुड़कर अपनी आमदनी बढ़ाने का प्रयास करती हैं. 

2012 में, मिनिस्ट्री ऑफ़ वीमेन अफेयर्स (Ministry of Women Affairs) ने सरकारी विभागों, जिला विकास अधिकारीयों, समुदाय विकास अधिकारीयों, और वॉर्ड कोऑर्डिनेटर्स के साथ मिलकर स्वयं सहायता समूह परियोजना की शुरुआत की. स्वयं सहायता समूह आमतौर पर अपने सदस्यों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लक्ष्य के साथ बनाए जाते हैं. इसमें बचत करना, साथ काम शुरू करना, और छोटे लोन लेना भी शामिल है. इसके साथ ही, महिलाएं  स्वयं सहायता समूह से जुड़कर सामाजिक चुनौतियों को दूर करने की भी कोशिश करती हैं. 

बुलिलिमा और मंगवे जिलों में महिलाओं ने गरीबी, लिंग आधारित हिंसा, किशोर गर्भधारण और शराब के दुरुपयोग से निपटने के लिए एक मिलिकानी फेडरेशन (Milikani Federation) की शुरुआत की. मिलिकानी फेडरेशन की अध्यक्ष सामरिया नकोमो ने बताती है कि संगठन महिलाओं और बच्चों दोनों के जीवन में सुधार लाने के लिए काम करता है. समाज में महिलाओं और बच्चों के साथ कई तरह का दुर्व्यवहार हो रहा है. नकोमो की संगठन की तीन स्ट्रक्चर हैं - 10 से 20 महिलाओं का स्वयं सहायता समूह (SHG), क्लस्टर समूह और सबसे ऊपर मिलिकानी फेडरेशन है.

हर हफ्ते महिलाएं कुछ धन की बचत करती हैं, ताकि अपनी ज़रूरतों की लिए पति पर निर्भर न रहना पड़े. यह राशि महिलाओं को किराने का सामान खरीदने, स्कूलों में ट्यूशन फीस देने और बच्चों की किताबें खरीदने जैसी छोटी-छोटी चीजों में मदद करत है. फेडरेशन के ज़रिये महिलाएं सरकारी और स्थानीय अधिकारियों से सहायता लेती हैं, ताकि नशीले पदार्थों और किशोर गर्भधारण जैसी समस्याओं से निपटा जा सके.  

SHG के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर, मथोकोज़िसी एनडेबेले ने स्वयं सहायता समूह को दूसरे जिलों में भी शुरू करने का प्रयास किया है. यह कार्यक्रम देश भर के 13 जिलों में सात संगठनों द्वारा चलाया जा रहा है. SHG से जुड़कर महिलाएं अपनी ज़रूरतों को पूरा कर रही हैं. समूह में साथ आने से सामाजिक बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना आसान हुआ है, और बदलाव धीरे-धीरे महसूस किया जा सकता है. दुनियाभर के विकासशील देश SHG को बढ़ावा देकर महिलाओं की आर्थिक आज़ादी और सामाजिक बदलाव के सपने को पूरा कर सकते है.     

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