यूगांडा में SHG गरीबी के खिलाफ लड़ाई में आगे

स्वयं सहायता समूह छोटे समूह होते हैं, जिनमें अधिकतर या केवल महिलाएं होती है. यह हर हफ्ते या हर महीने एक निश्चित राशि बचाते हैं और साप्ताहिक रूप से समूह बैठकें करते है. इन सामूहिक बचतों में से वे एक दूसरे को ऋण देते है.

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रोहन शर्मा
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Uganda SHG

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अफ्रीका महाद्वीप का देश युगांडा, विश्व में अपनी भाषा, रहन सहन, वेश-भूषा, संस्कृति, धर्म, व्यवसाय से अलग पहचान बनता है लेकिन लम्बे गृहयुद्ध के कारण यहां की अर्थव्यवस्था डगमगाती रहती है.  इसके बावजूद युगांडा ने गरीबी कम करने में प्रभावशाली काम किया है. इसमें यहां के सेल्फ हेल्प ग्रुप एप्रोच युगांडा ऑर्गेनाइज़ेशन (SHGAU) का ख़ास योगदान है. यूगांडा कभी गरीबी इंडेक्स में 184 देशों में से 20 स्थान पर आता था. ग्रामीण गरीबी तो और भी बदतर हालत में है.  



ग्रामीण यूगांडा वासियों के पास अक्सर पर्याप्त बचत नहीं होती है, इससे निपटने के लिए ऋण की आवश्यकता होती है. हालांकि, ग्रामीण गरीबों की बैंकिंग लोन तक पहुंच कम है. अगर गरीबों की वित्तीय संस्थानों तक पहुंच है, तो भी उनके पास कोलेट्रल नहीं होता.  कुछ ग्रामीण खांडकर (यूगांडा में ब्याज पर लोन देने वाले) से लोन ले लेते है . लेकिन युगांडा में औपचारिक और अनौपचारिक उधारदाताओं दोनों बड़ा ब्याज लेते है. यहां तक कि माइक्रोफाइनेंस संस्थान (एमएफआई) और बचत और ऋण सहकारी संगठन (SACCOs) भी इन तक नहीं पहुंच पाते.  

Uganda SHG

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इस सबका हल निकला स्वयं सहायता बचत और ऋण समूह के तौर पर. स्वयं सहायता समूह छोटे समूह होते हैं, जिनमें अधिकतर या केवल महिलाएं होती है. यह हर हफ्ते या हर महीने एक निश्चित राशि बचाते हैं और साप्ताहिक रूप से समूह बैठकें करते है. इन सामूहिक बचतों में से वे एक दूसरे को ऋण देते है. समूह तय करते है वे कितना ब्याज लेंगे.  कुछ समूह एक "सोशल फंड" भी विकसित करते हैं जिसमें से सदस्य आपात स्थिति या आवश्यकताओं के लिए बिना ब्याज के ऋण ले सकते है.  



इस मॉडल का उपयोग कई विकासशील देशों में किया जाता है. यूगांडा में SHG स्थापित करने के लिए  Self Help Group Approach, Plan Uganda, CARE International, International Organization for Migration, Uganda वीमेन Concern Ministry, Self Help Africa और Global Giving जैसी संस्थाएं लगातार काम कर रही है.



स्वयं सहायता समूह विकासशील देशों में गरीबी हटाने का एक आदर्श विकल्प है. विशेष रूप से ग्रामीण गरीबी और महिलाओं की गरीबी, क्योंकि इसमें बचत और ऋण से योगदान करने की क्षमता है. यूगांडा में SHG के सामने सबसे बड़ी समस्या महिलाओं के प्रति सामाजिक, सांस्कृतिक दृष्टिकोण की है. महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, संसाधनों पर उनका नियंत्रण न होना आमतौर पर महिलाओं को इन समूहों में भागीदारी से रोकती है या बाधा उत्पन्न कर सकती है. स्वयं सहायता समूह युगांडा की खराब अर्थव्यवस्था के कारण भी बढ़ नहीं पाते. बाज़ारों की कमी से समूह के सदस्य अपने व्यवसायों को अधिक लाभदायक नहीं बना सकते. समूहों में पूंजी की छोटी और ब्याज दरें ज़्यादा है.  



युगांडा सरकार को अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए काम करना चाहिए. SHG, CLA, फेडरेशन और यूगांडा सरकार को मिलकर काम जारी रखना चाहिए, जिससे सामुदायिक स्तर पर बदलाव आ सके और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके. समुदाय आधारित समूह और सरकार के साथ मिलकर काम करने से सभी को फायदा होगा. 

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