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Image Credits: Susan Byrnes' Linkedin
उम्मीद से भरपूर कहानियां हर जगह हैं. हम सब इन कहानियों की तलाश में रहते हैं क्योकि ये हमे मुसीबतों से लड़ने का होंसला देती हैं. ऐसी ही कहानियों की खोज सुज़न बर्न्स को बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ले आई. सुज़न, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में मुख्य संचार अधिकारी ( चीफ़ कम्युनिकेशन ऑफिसर) के पद पर काम कर रही हैं और दुनियाभर में महिला सशक्तिकरण की सशक्त आवाज़ है. अपने इस कार्यकाल में वो विश्व की सभी बड़े प्लेटफॉर्म्स से महिला आज़ादी की बात कर चुकी है साथ ही इस मुद्दे को हर देश की नेताओं तक भी पंहुचा चुकी है. सुज़न के भरतीय पार्टनर सेंटर फॉर केटलाइज़िंग चेंज (सी3) उन्हें मुज़फ़्फ़रपुर में महिला पंचायत नेताओं और जीविका स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों से मिलाने ले गए.
सुज़न वहां साझा शक्ति केंद्र पहुंची. ये एक ऐसा सेंटर है जो लैंगिक समानता के मुद्दों को समझने में मदद करता है और हिंसा, भेदभाव और सुरक्षा की मुद्दों परकाम करता है. सरकार द्वारा समर्थित, ये स्वयं सहायता समूह अब राज्य भर में करीब लाखों महिलाओं तक पहुंच रहे हैं. सुज़न ने बताया ये आंकड़ा उनके होम टाउन वाशिंगटन की आबादी से लगभग दोगुनी है.
मीनापुर, बिहार में सुज़न पूनम देवी से मिली, जो लड़कियों को आगे पढ़ने में मदद करती है. अगर उसके समुदाय की कोई लड़की उच्च शिक्षा जारी रखने में रुचि दिखाती है, तो पूनम उसके माता-पिता को मनाने का काम करती है. उनके पास सफलता का एक मजबूत रिकॉर्ड है - न केवल स्कूल में नामांकन बढ़ाने में बल्कि समुदाय में महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने में भी वो काम कर रही है.
ये भारत भर की उन 8 करोड़ महिलाओं में से केवल दो हैं जिन्होंने इन स्वयं सहायता समूहों में भाग लेकर समाज में बदलाव के पहल की. इन समूहों से जुड़कर इन महिलाओ को पहचान, एक दुसरे का साथ और हिम्मत मिली. सुज़न इन महिलाओं और स्वयं सहायता समूह के कॉन्सेप्ट से काफ़ी प्राभावित हुई.