मई का महीना है, चुनावों की भागदौड़ में Mother's day भी आ गया. फ्लाइट पकड़नी थी तो सवेरे ही मां को फोन करके मदर्स डे विश किया. पहले उन्हें मदर्स डे पर केक भेजती थी. फ़िर उन्होंने कहा कि केक से बेहतर है पिज़्ज़ा तो इस साल उनके पिज़्ज़ा का प्रबंध कर
आप लोग भी अपने अपने तरीके से इस दिन को मनाते होंगे. नई पीढ़ी के बच्चों को ज़्यादा उत्साह होता है इन सब उत्सवों का. अच्छा है, होना भी चाहिए.
आज की पीढ़ी समझती है इमोशंस
पहले की पीढ़ियां अपनी भावनाएं खुल कर ज़ाहिर नहीं करती थीं. आजकल के बच्चों को ऐसा करने में कोई परहेज़ नहीं. कुछ लोग मदर्स डे जैसी चीज़ को विदेशी रिवाज़ मानकर ख़ारिज कर देते हैं. मुझे ये तर्क बड़ा बेतुका लगता है.
अपने लोगों को, ख़ासकर कि अपनी मां को एक दिन के लिए ज़्यादा ख़ास महसूस करवाने में काहे का ऐतराज़. छोटे बच्चे अपनी मां के लिए ग्रीटिंग कार्ड बनाते हैं, अपनी पॉकेट मनी से बचाकर कुछ तोहफ़ा लाते हैं. बड़े भी अपनी मां के लिए कुछ ख़ास करने की कोशिश करते हैं. हर वो दिन जिसमें कुछ सकारात्मक करने का मौका मिले, उसे ज़रूर मनाना चाहिए.
हम सभी को मदर्स डे, फादर्स डे और जो भी इस तरह के ख़ास मौके होते हैं उन्हें ज़रूर मनाना चाहिए. कुछ और नहीं तो इन दिनों के बहाने कुछ यादें ही बन जाती हैं. मां हमेशा तो साथ रहने वाली नहीं. इस मदर्स डे के बहाने उनके जाने के बाद आपके पास उनकी कुछ और यादें हो जाएंगी.
मनाओ मगर पूरे दिल से
हां लेकिन मदर्स डे के नाम पर सिर्फ़ सोशल मीडिया पर तस्वीर, पोस्ट या स्टोरी डालने की नीयत से कुछ ना करें तो बेहतर होगा. पता चला कि सोशल मीडिया की खातिर मां के लिए एक पकवान तो बना दिया लेकिन उसके बाद रसोई को इतना गन्दा छोड़ दिया कि मां का बचा हुआ दिन सफ़ाई में गुज़रा.
ऐसा ना हो कि मां के लिए रिटर्न रिसिप्ट के साथ गिफ्ट लाओ और बाद में ना जचने पर उसको बदलवाने की मशक्कत मां को उठानी पड़े. या उनके लिए गिफ्ट के नाम पर ऐसा कुछ ले आओ जिसकी ज़रूरत उनसे ज़्यादा आपको हो. ये सब करना हो तो इससे बेहतर है कि मदर्स डे ना ही मनाओ.
वैसे इन गिने चुने तरीकों के अलावा भी मदर्स डे कई प्रकार से मनाया जा सकता है. सबका अपना अलग तरीका, अपनी लव लैंग्वेज हो सकती है. ये लव लैंग्वेज, ये तरीका बदल भी सकता है.
मेरे लिए तो अब तक केक और पिज़्ज़ा काफ़ी असरदार तरीका रहा है. मिलेनियल हैं तो आज की पीढ़ी की वो कला ज़्यादा नही आती जिसमें खुल कर मां बाप के प्रति अपने भाव को व्यक्त कर सकें. ऐसे में हम जैसे लोगों के लिए केक, गुलदस्ता और पिज़्ज़ा बड़ा काम आता है.
मां को सुपरवुमेन नहीं, इंसान है
अब सवाल ये कि कैसे इस मदर्स डे को इस एक दिन के उत्सव से आगे ले जाया जाए. मेरे हिसाब से शुरुवात सबसे पहले अपनी मां को देवी मानना बंद करने से करें. मत मानिए मां को देवी. और सुपरवुमन तो बिलकुल ना माने. मां को इंसान माने.
इंसानों को मिलने वाली हर छूट दें उन्हें. उन पर परफेक्ट होने का दबाव जो इस दुनिया ने बनाया है, उसे खत्म करने की कोशिश करें. मां को उनके मां होने के परे देखें. उन्हें एक इंसान की तरह देखें. उनके जीवन के उतार चढ़ाव को एक इंसान की तरह देखें, ना कि सिर्फ़ उनकी औलाद की तरह.
आप सोचेंगे कि उससे क्या हो जायेगा. उससे होगा ये कि शायद मां अपनी ज़िंदगी ज़रा खुल कर जी पाए. हर वक्त सुपरवुमन, परफेक्ट बने रहने का जो दबाव है मां पर वो कम हो जाए और मां अपनी औलाद से परे अपने बारे में सोच पाए. इससे बढ़िया मदर्स डे सेलिब्रेशन और क्या होगा.