ऑन टॉप ऑफ़ द वर्ल्ड

अरुणिमा भारत की पहली विकलांग महिला है जिसने दुनिया की सबसे ऊंची छोटी पर चढ़ाई की. अरुणिमा सिन्हा का जन्म सन 1988 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ. उनकी रूचि बचपन से ही स्पोर्ट्स में रही.

author-image
रिसिका जोशी
New Update
Arunima  Sinha

Image Credits: Sayfty

वो पटरियों पर कटे हुए पैर के साथ खून में लतपथ पड़ी थी, 40-50 ट्रेंस निकल गयी, आस खो बैठी थी कि बच पाएगी. उसने मान लिया था कि ज़िन्दगी बस यही तक थी. लेकिन किस्मत ने कुछ और ही सोच रखा था. अरुणिमा सिन्हा, एक ऐसा नाम जिसे आज पूरी दुनिया जानती है. अरुणिमा भारत की पहली विकलांग महिला है जिसने दुनिया की सबसे ऊंची छोटी पर चढ़ाई की. अरुणिमा सिन्हा का जन्म सन 1988 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ. उनकी रूचि बचपन से ही स्पोर्ट्स में रही. वे एक नेशनल वॉलीबाल प्लेयर थी. सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन कहते है न ज़िन्दगी कभी ही बताकर कठिनाइयां नहीं देती. अरुणिमा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

एक दिन ट्रैन से दिल्ली जाते वक़्त उन्हें चोरों ने चेन लूटने के कारण ट्रैन की पटरी पर फैंक दिया. जब उनका इलाज चल रहा था तो परिवार और समाज और समाज चूका था कि अब इसकी ज़िन्दगी में कुछ नहीं बचा. लेकिन अरुणिमा सबको जवाब देती और हर वक़्त बस ये ही सोचती थी कि अगर मुझे नयी ज़िन्दगी मिली, तो कुछ बड़ा करने के लिए मिली होगी. वह अपने आप को किसी से कमज़ोर नहीं समझती थी.

Arunima Sinha

Image Credits: Times Of India

अरुणिमा एक दिन बैठ के सोच रही थी कि ऐसा क्या करू जिससे यह साबित हो जाए कि मैं किसी से कम नहीं हूं. तभी उनकी नज़र माउंटैनेअरिंग वाले एक आर्टिकल पर पड़ी. बस उसी वक़्त उन्होंने ठान लिया कि मैं दुनिया के सारे महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर फ़तेह हासिल करुँगी. वे चाहती थी उनके जैसे हर व्यक्ति में हौसला बिलकुल भी कम नहीं होना चाहिए, चाहे मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों ना हो! एशिया, अंटार्टिका, अफ्रीका और यूरोप की सबसे ऊंची छोटी पर तिरंगा लहरा चुकी हैं, अरुणिमा सिन्हा. उन्हें अम्बेडकर नगर रत्न पुरस्कार, पद्मश्री अवार्ड (2015), तेनज़िंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड (2015), फर्स्ट लेडी अवार्ड (2016), मलाला अवार्ड, यश भारती अवार्ड, और रानी लक्ष्मी बाई अवार्ड से नवाज़ा जा चूका है.  

चाहती तो अरुणिमा भी हार मानकर बैठ जाती, परिवार कुछ समय बाद बोझ कहने लगता, समाज ताने मरने लगता. लेकिन इतना सब हो जाने के बावजूद, आज वो सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में रहने वाले हर विकलांग और पीड़ित व्यक्ति के लिए मिसाल बन चुकी है. रविवार विचार सलाम करता है, उनकी हिम्मत और ताकत को, जिसके आगे ऊंचाइयों को भी झुकना पड़ा. अरुणिमा के कुछ शब्द जो हर व्यक्ति को सोचने और कुछ कर गुज़रने पर मजबूर करते है, वे है- 

अभी तो इस बाज की असली उड़ान बाकी है,

अभी तो इस परिंदे का इम्तिहान बाकी है.

अभी अभी तो मैंने लांघा है समंदरों को,

अभी तो पूरा आसमान बाकी है!!!

उत्तर प्रदेश अरुणिमा सिन्हा पहली विकलांग महिला दुनिया की सबसे ऊंची छोटी सुल्तानपुर नेशनल वॉलीबाल प्लेयर