जोआन कोलिन ने कहा है, "ऐज इस जस्ट ए नंबर" यानि "आयु एक संख्या मात्र है" यह बात सच साबित कर दी हरयाणा की 'भगवानी देवी डागर' ने. 95 वर्षीय यह महिला पोलैंड के टोरून में 'वर्ल्ड मास्टर्स इंडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023' में तीन स्वर्ण पदक जीतकर एक बार फिर भारत का का गौरव बढ़ा चुकीं है. उन्होंने 60 मीटर दौड़, शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में पहला स्थान अपना बनाया.
हालांकि इनका जीवन बचपन से ही इतना आसान नहीं था. झज्जर जिले के छोटे से गांव, खेड़का में जन्म के बाद इन्हे बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा. गांव के रीति-रिवाजों के मुताबिक, 12 साल की छोटी सी उम्र में ही इनकी शादी करा दी गयी. कुछ वर्ष के लिए सब कुछ सही चला लेकिन वक़्त ने एक बार फिर खुद को बदला और 30 साल की उम्र में भगवानी देवी विधवा हो गयी. इसी दौरान इन्होंने अपना एक बच्चा भी खो दिया. भगवानी देवी ने फैसला किया की वे दोबारा शादी नहीं करेंगी और अपने बच्चों को अकेले ही पालेंगी. कुछ समय बाद उनकी बेटी की भी मृत्यु हो गयी. वे पूरी तरीके से टूट चुकीं थी, उनकी बड़ी बेहेन ने उनका और उनको और सबसे छोटे बेटे को संभालने की ज़िम्मेदारी ली.भगवानी देवी ने इतना होने के बाद भी हार नेह मानी और ठान लिया की इतनी आसानी से यह ज़िन्दगी मुझे हरा नहीं सकती.
आखिरकार, सब कुछ सही हुआ जब उनके बेटे को दिल्ली में एक क्लर्क के रूप में नौकरी मिल गई. ज़िन्दगी ने उनको थोड़ी राहत दी और फिर सब कुछ धीरे धीरे ठीक होने लगा.भगवानी देवी के पोते विकास डागर का बड़ा हाथ है. विकास ने बताया- "बात ज्यादा पुरानी नहीं है. सिर्फ छह महीने की मेहनत ने उनकी दादी को इस मुकाम तक पहुंचा दिया है."भगवानी देवी ने जब वो शॉट पुट की बॉल अपने हाथ में ली तो उनके अंदर बचपन वाला लगाव फिर से जाग उठा और उन्होंने अपने पोते के साथ दोबारा मैदान में खेलना शुरू कर दिया. उनका पोता इतना खुश हो गया की उनसे भगवानी देवी का नाम प्रतियोगिताएं में लिखवाना शुरू कर दिया. फिर साल 2022 मई महीने में उन्होंने दिल्ली स्टेट मास्टर्स चैंपियनशिप में अपनी उम्र वाली कैटेगिरी में तीन गोल्ड मेडल हासिल कर लिए. पूरी दुनिया उन्हें 'अपराजिता' के नाम से भी जानती है. उनका जोश आज की जवान महिलाओं और लड़कियों के लिए सहराना का विषय है. इस उम्र में भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने देश का नाम हर पूरी दुनिया में रोशन किया. अगर वो आज भी उसी जोश के साथ अपना जीवन जी रही है तो हम क्यों नहीं ?