असफलता एक पड़ाव, मंज़िल नहीं, Hard Work ही key of success

असफलता एक पड़ाव हो सकता है,मंज़िल कभी नहीं. केवल 27 साल की एक गांव की एक लड़की ने एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन बार PSC क्रेक की.अब यह Deputy Collector पद के लिए सिलेक्ट हुई.प्रियल यादव ने इस बड़ी उपलब्धि पर RAVIVAR VICHAR से ख़ास बात की.

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असफलता सिर्फ एक पड़ाव मंज़िल नही

डिप्टी कलेक्टर पद पर चयन के बाद प्रियल अपने माता-पिता के साथ (Image: Ravivar Vichar)

MP के Harda जिले के खिरकिया ब्लॉक की रहने वाली प्रियल यादव इन दिनों चर्चा में है.प्रियल का MPPSC में 6 टी पोज़िशन बनी. प्रियल की सफलता और आत्मविश्वास उन लड़कियों के लिए अनुकरणीय है जो परिस्थिति से घबरा कर  मंज़िल पाने से पहले अपनी हार मान लेती है.

11 वीं में Supplementary के बाद पलटी बाजी 

Priyal Yadav की ज़िंदगी और मेनहत के बाद सफलता का राज़ खुद प्रियल ने बताया. 11 वीं में Supplementary मिलने के बाद भी प्रियल ने बाजी पलट दी.प्रियल कहती है- "मैं 10 वीं में फर्स्ट डिवीज़न थी.11 वीं में मुझे भी साइंस दिलाया.यह मेरी रूचि का subject था ही नहीं.आखिर physics subject में supplementary मिली.मेरा तो लक्ष्य ही प्रशासनिक अधिकारी बनना था.subject बदला,और मेहनत शुरू की.2019 में district registrar में select हुई.मेहनत करती रही.2020 में कोऑपरेटिव में assistant commissioner  में चयनित हुई.2021 में हुई PSC में मेरा चयन Deputy Collector के पद पर हुआ.मुझे ख़ुशी है मेहनत से सफलता का एक पड़ाव और मिला.IAS के लिए तैयारी जारी रखूंगी." 

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 प्रियल यादव ट्रेनिंग के दौरान प्रशासनिक अकादमिक भोपाल में (Image: Ravivar Vichar)  

प्रियल का मानना है कोई भी सब्जेक्ट दोयम दर्जे का नहीं होता.यह धारणा गलत है की सारी सफलता साइंस सब्जेक्ट में है.

हर सब्जेक्ट का अपना महत्व है.और हर सब्जेक्ट सफलता की राह दिखाता है.  

               

आत्मनिर्भर होना जरुरी, बेटियों का बढ़ता है आत्मविश्वास 

बदलते समय में बेटियों की पढ़ाई जरुरी है. प्रियल ने आगे कहा-"बेटियों का आत्मनिर्भर होना बहुत जरुरी है.आत्मनिर्भरता से ही आत्मविश्वास बढ़ता है.मेरे पिता किसान हैं.मां होम मेकर.हमारे समाज में लड़कियों की शादी बहुत कम उम्र में कर देने का रिवाज़ है.जो लोग अक्सर मेरे पिता से शादी को लेकर पूछते थे अब वे ही अपने बच्चों के लिए पढ़ाई का तरीका और सलाह लेने आ रहे. मुझे ख़ुशी है जनसामान्य की धारणा बेटियों की पढ़ाई के लिए बदली. यदि परिस्थितिवश लड़की की शादी  हो भी जाए तो भी शादी को करियर में बाधा न बनने दें.लक्ष्य की तरफ बढ़ती रहें."

'धारणी' में दिखने लगी थी संवेदनाएं,अनाथ बच्चों की हमदर्द  

किसान परिवार की प्रियल ने इंदौर शहर में आकर आगे पढ़ाई जारी रखी.एक NGO का गठन किया.इस NGO में किए जा रहे काम से ही प्रियल की संवेदनाएं नज़र आने लगी.

 प्रियल बताती है-"कई जगह अनाथ बच्चों को देखा.हम कुछ साथियों ने मिल कर धारणी सामाजिक संस्था बनाई.इसी के जरिए हम ऐसे जरूरतमंद बच्चों और महिलाओं की मदद कर रहे.प्रशासनिक सेवा में आने का मकसद समाज में महिलाओं और अनाथ बच्चों की मदद करना है."

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प्रियल (Image: Ravivar Vichar)  

प्रियल जॉब के साथ ऑनलाइन पढ़ाई के लिए टाइम निकालती थी. 

प्रियल इन दिनों भोपाल में प्रशासनिक अकादमिक में ट्रेनिंग ली रही.पिता विजय यादव और मां संगीता यादव का कहना है हमने अपनी बेटी को हमेशा पढ़ाई के लिए फ्री रखा.कोई दबाव नहीं बनाया.              

MPPSC Deputy Collector Priyal Yadav