आसमान को ताकती हुई वो नज़रे जिनमें कुछ कर दिखाने की चमक साफ़ दिखाई दे रही थी, एक दिन इन तारों को छूना है और आसमान में उड़ना है. यह सोच थी उस छोटी सी लड़की की जिसने टूटते तारे को देख कर सिर्फ इच्छा नहीं मांगी, बल्कि सोचा होगा कि तारे टूटते है तो गिरते कहा है? ऐसे अनगिनत सवाल होंगे जी.सी.अनुपमा के मन में जिससे वे एस्ट्रोनॉमी की ओर खींची चली गयी. भारत की सबसे पहली महिला जिन्हें 'एस्टॉनोमिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया' (एएसआई) की अध्यक्ष के तौर पर चुना गया, वो है जी.सी.अनुपमा. इन्होने आईआईए बैंगलोर से पीएचडी की और डॉक्टरेट के बाद पुणे में इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) में काम किया.
एएसआई में उनकी एंट्री के बाद उन्होंने बहुत से सराहनीय काम किये. बेंगलुरू स्थित ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स’ (आईआईए) में अनुपमा 'थर्टी मीटर टेलीस्कोप' (टीएमटी) परियोजना की स्थापना में लगी और इनका क्रू अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा था. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में एस्ट्रोफिजिक्स (सुपरनोवा) पर कई पेपर प्रस्तुत किए हैं. अनुपमा कुछ साल पहले लेह, लद्दाख, में 'हिमालयन टेलीस्कोप' की डिजाइन और स्थापना के लिए प्रोजेक्ट इंचार्ज भी थीं. यह दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित एकमात्र टेलीस्कोप है जो वैज्ञानिक समुदाय के लिए मूल्यवान डेटा प्रदान करता है. वे 'बुलेटिन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया' (2004-10) की संपादक भी रह चुकी है. इन्हें वर्ष 2001 में कर्नाटक सरकार के ‘सीवी रमन यंग साइंटिस्ट अवार्ड’ से नवाजा गया.
यह बात सच है कि भारत में खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में महिला वैज्ञानिकों की संख्या बहुत काम है, लेकिन अनुपमा ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं चाहे तो कुछ भी कर सकती है. चाहे फिर वो घर संभालना हो या अंतरीक्ष की उचाइयां तय करना हो. अनुपमा जाने कितनी लड़कियों के लिए एक उम्मीद की किरण बनी है. आज हर लड़की और महिला इन्हीं जैसे नामों से प्रेरित होकर सपने देख रही हैं और उन्हें पूरा करने के लिए ऊंची उड़ान तय करना चाहती है. ‘इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमी दिवस’ के दिन ऐसी कहानियां सबके सामने आनी ही चाहिए ताकि देश का हर व्यक्ति प्रेरित हो सके.