"कल हाथ कापते थे, आज कलम बोलती है"- 'गली गर्ल' Saniya MQ

Saniya MQ IIT बॉम्बे और  जैसे कई हाई प्रोफाइल इवेंट्स में परफॉर्म कर चुकी है. वे हर वेन्यू पर अपने पापा के साथ उनकी रिक्शा में जाती है. स्मार्टफोन न होने के बावजूद उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से खुद के लिखे रैप रिकॉर्ड किये और यूट्यूब पर पोस्ट किये.

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मिस्बाह
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saniya MQ rapper from mumbai

Image Credits: Ravivar Vichar

"हैं कशमकश में तो कहीं संभल रहे
जज़्बात दिल में वो पंक्तियों में पल रहे"

मुंबई (Mumbai) की गली में उभरते टैलेंट का 'अपना टाइम' आ गया है. फर्क बस इतना है कि ये गली बॉय नहीं 'गली गर्ल है'. सानिया MQ (Saniya MQ) IIT बॉम्बे और  जैसे कई हाई प्रोफाइल इवेंट्स में परफॉर्म कर चुकी है. वे हर वेन्यू पर अपने पापा के साथ उनकी रिक्शा में जाती है. वे 13 साल की उम्र से रैप (rap) कर रही हैं. स्मार्टफोन न होने के बावजूद उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से खुद के लिखे रैप रिकॉर्ड किये और यूट्यूब पर पोस्ट किये. आज इंस्टाग्राम पर उनके 11 हज़ार से ज़्यादा फॉलोवर्स और यूट्यूब पर 13 हज़ार से ज़्यादा सब्सक्राइबर्स हैं.

"अब क्या ही कर सकोगे जो चाहे कर जमाने, कल हाथ कापते थे, आज कलम बोलती है"

रैपर (raper) सानिया मुंबई के गोवंडी में टिन शेड और मिट्टी से बने छोटे से के घर में रहती है. सानिया के वीडिओज़ यही की गलियों में शूट किये गए हैं. एक वीडियो में सानिया कूड़े की सात फुट ऊंची पहाड़ी के सामने कैमरे में देखते हुए रैप करती है, और इशारा करती है इस बात पर कि कैसे मुंबई का एक हिस्सा कूड़े के बगल में रहता है जबकि दूसरा आधा हिस्सा उस कचरे को पैदा करता है. वे अपने रैप के ज़रिये समाज में फैली असमानता को बेबाकी से उजागर करती है. वो कहती है, "ऐसी बातें अगर हम किसी को भी बताएं तो वो इग्नोर कर देंगे, है ना? तो उसे कविता या फिर रैप के ज़रिये लोगों तक पहुंचाना चाहती हूं"

"सर ढक के चलने वाली निकली है सर उठाने" 

लोग सानिया को हिजाब में रैप करने वाली लड़की के रूप में पहचानते हैं. गरीबी की वजह से उन्हें और उनके दोस्तों को भेद-भाव (discrimination) झेलना पड़ता है. कई बार उन्हें बोलै गया कि वो कुछ नहीं कर पाएंगे. जब भी सानिया की काबिलियत पर सवाल खड़े हुए, मां ने उसका साथ दिया और पापा ने हिम्मत दिलाई. 2019 में 'गली बॉय' (Gully Boy) फिल्म देखने के बाद सानिया ने तय किया कि वो अपनी पहचान हिप-हॉप (hip-hop) की दुनिया में बनाएगी. 

"अब कोरे कागज़ों पर हैं लिख रहे अफ़साने"

सानिया Emiway Bantai को अपना आदर्श मानती है. वे शिक्षा व्यवस्था (education), वर्ल्ड पीस (world peace), न्याय (justice), लैंगिक भेदभाव (gender discrimination), सामाजिक चुनौतियों (social challenges) के मुद्दों पर लिख चुकी है. सानिया कहती है, “मेरी अलग एक पहचान है. मैंने किसी को कॉपी नहीं किया. मुझे मेरे नाम से जाना जाए, मुझे मेरे काम से जाना जाए." ऑटो ट्यून और प्रॉप्स के ज़माने में सानिया अपने वीडियो और गानों के ज़रिये उन मुद्दों पर बात करती है जिन पर समाज सोचने से भी कतराता है. वे हर उस लड़की को हिम्मत दे रही है जो चुनौतियों से जूझ अपनी पहचान बनाने और टैलेंट को घर की चार दीवारी से बाहर ले जाने का जज़्बा रखती हैं.  

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