सड़कों पर लोग अक्सर देखकर हसतें है, और ना जाने कितने नामों से बुलाते है इन्हें. 'किन्नर' या फिर 'third gender' कहे जाने वाले लोगों को कितनी बातें सुननी पड़ती है. इन्होने खुद को लोगों के सामने साबित तो किया है, लेकिन फिर भी इन्हें वो इज़्ज़त नहीं मिलती जो मिलनी चाहिए. ऐसी ही कहानी है तमिलनाडु के मदुराई में जन्मी नर्तकी नटराज को बचपन में पता चला की वो ट्रांसजेंडर है. इसी बीच उनकी दोस्ती शक्ति से हो गई. शक्ति भी एक ट्रांसजेंडर थीं इसीलिए इन दोनों में खूब बनने लगी. लेकिन इन दोनों को लोगों के बहुत से तानें भी सुनने पड़ते. आख़िरकार एक दिन नर्तकी नटराज ने घर छोड़ दिया और घरवालों से दूर हो गई. घर छोड़ने के बाद दोनों के सामने जीवन गुजारने के लिए पैसों की किल्लत आयी और दोनों ने एक जगह छोटी सी नौकरी करनी शुरू कर दी.
नर्तकी नटराज (Narthaki Nataraj) कुछ अलग करना चाहती थीं लेकिन उनके पास डांस को छोड़कर कोई हुनर नहीं था. बचपन से उन्हें डांस में रूचि थी लेकिन कोई उन्हें सिखाने के लिए तैयार नहीं था. नर्तकी नटराज की तलाश 1984 में पूरी हुई जब उनकी मुलाक़ात तंजोर श्री केपी कटप्पा पिल्लई से हुई. पिल्लई ने उन्हें डांस सीखना शुरू किया और ये भी भरोसा दिलाया की एक दिन वो दुनिया में अपना नाम खुद के दम पर बनाएगी. आज वे दुनियाभर में नाम कामा रही है. देश-विदेश में लगातार उनके स्टेज शोज होते है. सरकार ने भी उन्हें सम्मान देने के लिए कक्षा 11वीं नर्तकी नटराज के जीवन पर एक चैप्टर शुरू किया. नर्तकी ने एक स्कूल भी खोला जिसमें बहुत सारे बच्चे डांस सीखने जातें हैं. सबसे बड़ी बात की यहाँ ट्रांसजेंडर वाले विद्यार्थियों को विशेष क्लासेस दी जातीं हैं.
नर्तकी को सरकार ने 2019 में 'पद्मश्री' से नवाजा. उस साल पहली बार एक ट्रांसजेंडर को यह सम्मान मिला. इन्होने अपनी आबादी का सर गर्व से ऊँचा कर दिया. नटराज नर्तकी की वजह से आज किन्नर देश में इज़्ज़त कामा रहे है और खुद को साबित भी कर रहे है.