देश में जिस तरीके लड़कियों को लेकर क्राइम्स बढ़ते जा रहे है, हर लड़की को Self Defense (आत्मरक्षा) आना ही चाहिए. देश में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर कानून तो है, लेकिन क्राइम रेट बहुत तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में self defense सीखने और सिखाने के ज़िम्मेदाररी आती है लड़कियों और उनके माता पिता के कंधो पर ! उन्हें रात में बाहर जाने से रोकना, मनचाहे कपड़े पहनने से रोकना, अकेले कही ना जाने देना, इससे बेहतर होगा की उन्हें Self Defense सिखाने के लिए भेजा जाए और आत्मनिर्भर बनाया जाए. ऐसी ही देश की एक लड़की, Rishika Banerjee ने चार साल की उम्र से karate सीखना शुरू किया, और आज वह 15 साल की उम्र में 11th European Open Championship of Karate Kyokushinkai में Under-16 Women's Category में winner बनी. यह इवेंट IKO 3 Matsushima के द्वारा ऑर्गनाइस कराया गया था. I.K.O. MATSUSIMA मार्शल आर्ट कराटे को दुनिया में आगे बढ़ाने, और यह अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान में योगदान देने वाली organization है.
रिशिका के माता पिता ने उसे करते खेलने के लिए प्रोत्साहित किया और प्यार और प्रेरणा देते हुए आगे बढ़ने के लिए मदद की. रिशिका के पिता (Mayukh Banerjee) ही उसके कोच और गुरु थे. वह Shotokan में black belt और Kyokushin में 3rd Dan है. रिशिका की मां (Sharanya Banerjee) भी Shotokan में black belt और Kyokushin में green stripe है. उसके पिता पहले मर्चेंट नेवी में थे. उनका सपना था की वे एक Dojo (आत्मरक्षा की विभिन्न कलाओं में प्रशिक्षण के लिए एक स्कूल) की शुरुआत करें. उन्होंने अपना सपना पूरा करने के लिए नौकरी छोड़ दी. रिशिका अपने पापा की ट्रेनिंग अकादमी में ही कराटे सीखती थी.
जीत के बाद रिशिका ने कहा- "मैंने बहुत कम उम्र में शुरुआत की थी और मेरे माता-पिता मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा थे. उन्होंने मेरा समर्थन किया और मेरी प्रतिभा को निखारा. मुझ पर उनका विश्वास मुझे आगे ले जाता है." रिशिका ने Shotokan Style में प्रशिक्षण लेना शुरू किया और सात साल के प्रशिक्षण के बाद black belt हासिल किया. इसके साथ ही, उसने Full Contact Kyokushin Style में mastering करना शुरू कर दिया. वर्तमान में रिशिका Kyokushin में अपनी मां की तरह green stripe है. सिर्फ करते ही नहीं बल्कि वह पढ़ाई में भी एक ब्राइट स्टूडेंट है और खेल और शिक्षा के बीच संतुलन बनाए रखती है.
देश की सरकार को इस बात पर भी ज़ोर देना चाहिए की हर लड़की और महिला self defense सीखे. उन्हें बचाकर रखने से बेहतर होगा की उन्हें इतना स्ट्रांग और आत्मनिर्भर बना दिया जाए, जिससे वे किसी भी मुसीबत का सामना कर पाए. देश में इतने सारे Self Help Groups (SHG) काम कर रहे है. क्यों ना इन महिलाओं को ग्रामीण स्तर पर self defense का प्रशिक्षण दिया जाए. गांव की हर महिला जिस तरह से बैंक सखी, कशीदाकारी, खाने के उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षण ले रही है, क्यों ना उन्हें karate, judo, martial arts और ऐसे अलग अलग self defense techniques का प्रशिक्षण दिया जाए. आख़िरकार, पुरे देश में महिला सशक्तिकरण जितनी तेजी से चल रहा है, आत्मरक्षा भी उसका एक बहुत बड़ा हिस्सा होना चाहिए. जब देश की महिला मजबूत और सशक्त बनेगी, तो देश अपने आप प्रगति करेगा.