सपनों के आसमान पर साक्षी की उड़ान

साक्षी कोचर बचपन से अपने सपने को बड़ा करती आई है. महज़ 18 साल कि छोटी सी उम्र में, यह भारत की सबसे युवा कमर्शियल पाइलेट बन चुकी है. साक्षी ने USA में जाकर पढाई और ट्रेनिंग पूरी की. सिर्फ साढ़े साथ महीने में अपना गोल अचीव कर लिया था साक्षी ने.

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रिसिका जोशी
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Sakshi Kochhar

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"लड़की 18 साल की हो गयी है, अब इसके लिए रिश्ते ढूंढ़ना शुरू कर देना चाहिए, कभी न कभी तो शादी करनी ही होगी न," ये है रिश्तेदारों और समाज की फेवरेट लाइन एक लड़की के लिए! 18 साल का होते ही ना जाने ऐसा क्या हो जाता है कि हर जगह अलग ही ट्रीटमेंट मिलना शुरू हो जाता है, घर में खाना बनाने की ट्रेनिंग के साथ रोज़ की नई नई बाते. पर ये कोई नहीं कहता कि, "18 साल की हो गयी हो अपने सपनो के पीछे भागना कब शुरू करोगी, उड़ना का शुरू करोगी."

लोग जानते है, कि अगर एक लड़की ने ठान लिया, तो वो हर मुसीबत से लड़कर, अपने हर डर से टकराकर, इतना आगे निकल जाएगी कि उसकी उड़ान को रोकना नामुमकिन हो जाएगा. इसीलिए पूरी कोशिश करते है कि उसे पहले ही ऐसे बातों में बांध दे कि वे अपने सपने भूल ही जाए. लेकिन कुछ होती है, साक्षी कोचर जैसी, जो बचपन से अपने सपने को बड़ा करती आई है. महज़ 18 साल कि छोटी सी उम्र में, यह भारत की सबसे युवा कमर्शियल पाइलेट बन चुकी है.

Sakshi Kochar

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हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से शहर परवाणू में 30 मई, 2005 में जन्मी थी, लेकिन सपने बड़े थे. मिडिल क्लास फैमिली में बड़ी हो रही थी, लेकिन सोच का कोई मुकाबला ही नहीं था. जब 10 साल की थी तबसे में थी तबसे एयरप्लैन उड़ाने का शौक था साक्षी को. 

जैसी ही बड़ी हुई मुंबई का स्काईलाइन एविएशन क्लब जॉइन करा और लग गयी अपने सपने को पूरा करने में. उसे पाइलेट बनाने के लिए कमर्शियल पाइलेट लाइसेंस ट्रेनिंग लेने की ज़रूरत थी. लेकिन एविएशन ट्रेनिंग इतनी आसानी से पूरा हो जाने वाली बात नहीं है. मेहनत तो है ही, साथ ही करीब 70 लाख रूपए का खर्च हो जाता है पूरा कोर्स कम्प्लीट करने में. साक्षी समझ नहीं पा रही थी की वो क्या करे. लेकिन उसकी फॅमिली ने भी ठान रखा था की उनकी बेटी को उसकी फेवरेट विंग्स खरीद कर देने के लिए वो कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.

Sakshi Kochhar

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पैसो का इंतज़ाम हुआ. साक्षी ने USA में जाकर अपनी बाकी की पढाई और ट्रेनिंग पूरी की. सिर्फ साढ़े सात महीने में अपना गोल अचीव कर लिया था साक्षी ने और यह पूरा हुआ उसके बर्थडे के साथ. इधर साक्षी18 साल की हुई, और उसने भारत की सबसे छोटी कमर्शियल पाइलेट होने का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया.

साक्षी के शब्द है- "पाइलेट बनना बहुत ही महंगा जॉब है. मेरे मां पापा ने 70 लाख रूपए खर्च किए है मुझे इस सपने को पूरा करवाने के लिए. मै बड़ी होकर उनके सारे पैसे लौटाउंगी." साक्षी से पहले मैत्री पटेल थी भारत की सबसे छोटी पाइलेट. वे 19 साल की थी.

Sakshi Kochhar

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गौर करने वाली बात ये है कि साक्षी से पहले भी एक लड़की ही इस खिताब को लिए बैठी थी. ना जाने क्यों, लोग हमेशा लड़कियों को पीछे खींचने में, उन्हें  काम समझने में लगे रहते है. या तो ये लोग हर दिन न्यूज़ नहीं देख रहे, या फिर डरते है कि कही महिलाएं इनसे आगे ना निकल जाए. क्यूंकि आए दिन लड़कियां और महिलाएं ये साबित कर रही है कि उनकी उड़ान को रोकने वालों को पीछे छोड़कर, इतनी तेज आगे बढ़ेंगी, कि उन्हें कुछ बोलना तो दूर, उनकी रफ़्तार तक भी नहीं पहुंच पाएंगे ये लोग!

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