हरियाणा में लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुष पर 879 है. जहां बेटियों को बोझ समझा जाता है, उसी राज्य में, एक ही परिवार की तीन बेटियां आईएएस बनी, तीनों ने ही हरियाणा की मुख्य सचिव की कुर्सी संभाली. केशानी आनंद अरोड़ा, मीनाक्षी चौधरी और उर्वशी गुलाटी के पिता जे.सी.आनंद पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद से रिटायर हुए. जे.सी.आनंद पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर थे और तीनों बेटियों को खुद पढ़ाते थे. तीनों बहनें बचपन से ही पढ़ने में बहुत अच्छी थीं. तीनों ने आईएएस बनने का सपना देखा, खूब मेहनत की, और मज़िल हासिल पा ली.
आनंद परिवार मूल रूप से पाकिस्तान के रावलपिंडी का रहने वाला था जो साल 1947 में बंटवारे के दौरान भारत आ गया था. उस समय लड़कियों को पढ़ाना गैर ज़रूरी समझा जाता था. 10वीं पास करने के बाद रिश्तेदारों ने उनकी शादी करने पर ज़ोर डाला. मगर इनकी मां ने पढ़ाई की ज़रुरत को समझते हुए उन्हें आगे पढ़ाया. इनकी माँ ने पढ़ाई की एहमियत समझी और तीनों बेटियों को पढ़ाया. मीनाक्षी, उर्वशी और केशनी ने पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई की और सिविल सर्विसेज की परीक्षा में इसे ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में चुना.
केशानी आनंद अरोड़ा 1983 बैच की टॉपर थी और 6 अप्रैल 1990 में हरियाणा की पहली महिला डिप्टी कमिश्नर बनी. उनकी बहन मीनाक्षी 1969 बैच की आईएएस अधिकारी हैं जो 08 नवंबर 2005 से लेकर 30 अप्रैल 2006 तक हरियाणा की मुख्य सचिव रहीं. वहीं, तीसरी बहन उर्वशी गुलाटी 1975 बैच की आईएएस अफसर है जिन्होंने यह पद 31 अक्टूबर 2009 से 31 मार्च 2012 तक संभाला था.
ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ जब एक ही परिवार के तीन बहनों ने राज्य का इतना सम्मानित पद संभाला. ये तीनों न केवल हरयाणा के लिए , पर देशभर की लड़कियों के लिए मिसाल बनी. सपने देखने के होंसलें और मेहनत के साथ परिवार के सहयोग ने उन्हें इन ऊंचाइयों तक पहुंचाया.