एक कंधे पर राइफल... दूसरे पर घर की ज़िम्मेदारियां...

CRPF यानी केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल, भारत के केंद्रीय पुलिस बलों में सबसे बड़ा है और एकमात्र ऐसा पैरा मिलिट्री फोर्स है जिसमें 06 महिला बटालियन हैं. कुछ ऐसी ही होती है इन महिला कर्मियों की दिनचर्या...

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मिस्बाह
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women CRPF personnel

Image Credits: Photo: Manisha Mondal | ThePrint

सुबह 4 बजे, श्रीनगर में डिटैचमेंट यूनिट 135 के बैरक में दिन की शुरुआत हो चुकी है. बाहर के अंधेरे और कड़ाके की ठंड CRPF महिला कर्मियों को ड्यूटी के लिए तैयार होने से नहीं रोक सकती. 12 घंटों की ड्यूटी करनी है. नाश्ता कर, वे लंच को डिब्बों में पैक कर रही हैं. आज खाने में दाल, चावल, रोटी और तोरी की सब्ज़ी है. फ़टाफ़ट नाश्ता ख़त्म कर वे सब हथियारों से भरे कमरे में जाती हैं और अपनी राइफलें उठाकर कंधों से बांध लेती है. 

राइफलों के साथ बाहर जाते ही... “सावधान...  विश्राम…” महिला कमांडर के आदेश के बाद सुबह की ब्रीफिंग के लिए डिप्टी कमांडेंट के आने से पहले लाइन में लग जाती हैं. “सभी जवान ड्यूटी जाने के लिए तैयार है?" सब-इंस्पेक्टर बसंती पूछती हैं. "हां मैम!" महिला जवानों ने पूरे जोश के साथ एक सुर में जवाब दिया. डिप्टी कमांडेंट यामिनी को ब्रीफ करते हुए याद दिलाती हैं, "चेकपॉइंट्स पर विज़िटर के साथ नरमाई और शांति से पेश आना."

शंकराचार्य मंदिर के पास वाले चेकपॉइंट पर, मीना, जो उत्तर प्रदेश से हैं, क्राउड कंट्रोल ड्यूटी कर रही हैं. एक विज़िटर अपना गोप्रो (GoPro) कैमरा निकालता है और रिकॉर्डिंग शुरू करता है, जिस पर मीना आपत्ति जताती है. मीना की एक गुस्से भरी नज़र और सारे पर्यटक लाइन में लग गए.

जैसे ही महिला उस्ताद या ट्रेनर सीआरपीएफ कैंप में कमांड की सीटी बजाती है, महिला जवान मार्च करना शुरू कर देती हैं. एक भी पैर सिंक से बाहर नहीं. फायरिंग रेंज में, बिगुल बजाया जाता है और वे सेकंड के भीतर लाइन में आ जाती हैं, तुरंत अपने सिर पर काला पटका लपेटती हैं, बंदूक लोड करती हैं, और निशाना लगाती हैं. बासुमती,असम की एक युवा कर्मी है जो अपनी राइफल को अपना "सबसे अच्छा दोस्त" कहती है. उस्ताद के कहने पर सभी छह फुट की दीवार की ओर दौड़ती हैं और एक छलांग में दीवार पार कर लेती हैं. कंधे पर बंधी 3 किलो की राइफल लिए एक घाटी से दूसरी घाटी पर छलांग लगाती हैं. 

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Image Credits: Photo: Manisha Mondal | ThePrint
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मिजोरम की नोव ने अपनी सीआरपीएफ का फिसिकल एग्जाम तब दिया जब उनकी बेटी को स्तनपान करती थी. उनके पति को ये फील्ड मंज़ूर नहीं थी, लेकिन छुपके से उन्होंने फॉर्म भर दिया था. फिसिकल टेस्ट के दौरान उन्होंने छाती पर तौलिया लपेट कर टेस्ट पूरा किया ताकि तौलिया दूध को सोखले. 

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Image Credits: Photo: Manisha Mondal | ThePrint

अपने चेहरे को पटके से ढके हुए, आंखों प्रोटेक्टिव चश्मों में छुपी,और शरीर पर बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर, क्यूएटी (क्विक एक्शन टीम) की महिला कर्मी बर्फ से गुजरती हुई, नावों के ज़रिये डल झील में गश्त करती हैं. कॉम्बैट ड्यूटी में, पुरुषों और महिलाओं के बीच के अंतर धुंदले पड़ जाते हैं. 

क्यूएटी टीम कमांडो के साथी जब ड्रिल के दौरान घुटने तक बर्फ में संघर्ष करते हैं तो कमांडो बार-बार दोहराती हैं, "पीठ सीधी, आंखें खुली,". एक ड्रिल के दौरान, महिला कर्मियों ने गाड़ी को पूरी तरह कवर कर लिया ताकि उनकी साथी सैनिटरी नैपकिन बदल सके. वे बताती हैं कि पीरियड जैसी नेचुरल प्रोसेस से कभी कोई समस्या नहीं हुई. 

मांग में सिंदूर, माथे पर बिंदी और कंधे पर 3 किलो की एके-47; ये कहानी उन हज़ारों जांबाज़ महिला CRPF महिला कर्मियों की है जो बखूबी अपने प्रोफेशन और गृहस्ती को संभाले हुए हैं. 29 वर्षीय शशि CRPF कमांडो है जो अपनी ड्यूटी और एक पारंपरिक विवाहित महिला की भूमिकाओं को बैलेंस कर रही हैं. शशि ड्यूटी पर खाकी शर्ट और ट्रॉउज़र पहनती है, और जब वह आगरा में अपने घर वापस आती है, तो उन्हें रंगीन साड़ी पहनना और घूंघट लेना पसंद है. परिवार में जाते ही, उन्हें पत्नी, बहू और मां के रूप में ढल जाना अच्छा लगता है. 

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छत्तीसगढ़ में बस्तरिया बटालियन 241 के कंपनी कैंप में 45 पुरुष और महिला कर्मियों को सुकमा की ओर जाने वाले वाहनों के लिए सड़क पेट्रोलिंग की ड्यूटी दी गई. सुबह 4 बजे, वे राइफल, इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) डिटेक्टर और पानी की बोतलों के साथ,जंगलों में से गुज़रते हुए, 15 किलोमीटर दूर अपनी पोस्ट पर पहुंचती हैं. उनमे से एक, 27 वर्षीय कांस्टेबल नामी एक आदिवासी महिला है, जो तीन साल पहले 241 बस्तरिया बटालियन में शामिल हुई थी. उनके पति भी सीआरपीएफ में हैं. वह नक्सलियों के बीच पली-बढ़ी. जब नामी को अपने माता-पिता से मिलना होता है, तो वह दोनों के घरों से दूर दूसरी तहसील में जाकर मिलती है. उनकी शादी हुई, एक बच्चा है जिसे वे मकान मालिक के पास छोड़कर ड्यूटी पर आती हैं. नक्सलियों के डर से उनका परिवार उनकी खुशियों में शामिल नहीं हो सकता. 

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सहायक कमांडेंट नीरा उपाध्याय श्रीनगर में नए सचिवालय की सुरक्षा की देखरेख करती हैं जहां वह 126 सीआरपीएफ पुरुष कर्मियों की कमान संभाले हुए हैं. जैसे ही वह बैरक में जाती है, प्रवेश द्वार पर मौजूद गार्ड उन्हें सलाम करता है. वह एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन में जाती है, फाइलों और राशन की जांच करती है. "किक आती है, जब हम कमांड देते हैं," वह गर्व के साथ कहती हैं.

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Image Credits: Photo: Manisha Mondal | ThePrint

रविवार के दिन महिलाओं को अवकाश मिलता है. तब मूड कुछ हल्का होता है, वे अपने बालों में मेंहदी लगाती हैं, इंस्टाग्राम रील्स देखती हैं, फेसबुक पर आये मेसेज का रिप्लाई करती हैं, और मनपसंद गाने सुनती हैं. रात के खाने के बाद बैरक में सन्नाटा पसर गया, सब सो चुके हैं. सोमवार को ड्रिल के लिए जल्दी उठना है. 

(साभार: The Print)

CRPF महिला कमांडर सीआरपीएफ कैंप कमांडो राइफल इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) डिटेक्टर बटालियन