ट्रक मालकिनों का गांव

गरीबी ,मजदूरी नशे के आदी अधिकांश लोगों से पहचाने जाने वाला गांव अब ट्रक मालकिनों का गांव कहलाता है. यहां की महिलाओं ने समाज से जुड़ी कई कट्टरताएं ख़त्म की और खुशहाल जीवन जी रहीं हैं. मुस्लिम बहूल इस गांव की महिलाओं ने अपनी मेहनत के बल पर नई पहचान बनाई.

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women who own truck

गुर्जर बापच्यामें समूह की नजमा अपने वाहन के साथ (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)

"जब खेतों में मजदूरी करने जाती थी,अक्सर पास से गुजरने वाली बाइक,कारों को देखती थी. और यह सोच कर मन को कोसती थी कि ये हमारी किस्मत में तो कभी लिखे ही नहीं हैं. वक़्त बदला. अब न केवल मेरे पास बड़ा वाहन है बल्कि मजदूरी नहीं दुकान की मालकिन भी हूं. कभी-कभी मुझे खुद यह फिल्मी कहानी लगती है." मुस्कुराते हुए रुबीना बी सभी को यह बात बताती है.आजीविका मिशन ने महिलाओं को एकजुट कर यहां समूह बनाए वे सफलता की कहानी खुद गढ़ रहें हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद रुबीना से मिल चुके हैं. यहां तक कि केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण मंत्रालय के मंत्री भी रुबीना से वर्चुअल बैठक में बात कर चुके हैं.       

देवास जिले के गांव गुर्जर बापच्या में रुबीना मिसाल बन गई. रुबीना से शुरू हुई कहानी एक के बाद एक कई महिलाओं ने लिखी. हमेशा गरीबी ,मजदूरी नशे के आदी अधिकांश लोगों से पहचाने जाने वाला गांव अब ट्रक मालकिनों का गांव कहलाता है. यहां की महिलाओं ने समाज से जुड़ी कई कट्टरताएं ख़त्म की और खुशहाल जीवन जी रहीं हैं. मुस्लिम बहूल इस गांव की महिलाओं ने अपनी मेहनत के बल पर नई पहचान बनाई. आत्मनिर्भर ये महिलाएं अब स्वाभिमान की ज़िंदगी जी रहीं हैं.

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 देवास के  गुर्जर बापच्या की रुबीना बी से सीएम शिवराज सिंह ने मुलाकात कर हौसला बढ़ाया  (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)   

रुबीना आगे बताती है -" शादी के बाद समय बहुत बुरा निकला. परिवार में विवाद और झगड़ों से तंग आ गई थी. मजदूरी इतनी नहीं मिल रही थी कि घर का खर्चा चल सके. हमने अधिकारियों के सुझाव पर "जागरूक आजीविका समूह" बनाया. 14 और गरीब महिलाएं भी साथ में जुड़ीं. समूह में हर दो माह में बचत शुरू की. खाता खुलवाया. मैंने पहला लोन पांच हजार रुपए का लिया.बैरागढ़ जाकर पांच हजार रुपए के कपड़े लाई. आठ हजार में सभी माल बिका. मुझे पहली बचत ने नई उम्मीद जगा दी. फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा." रुबीना ने पहले गांव-गांव जाकर कपड़े बेचे. फायदा हुआ तो पहले पुरानी वेन खरीदी. अब एक टवेरा और देवास में कपड़े की दुकान चलाती है.    

 देवास के  गुर्जर बापच्याकी रुबीना बी से सीएम शिवराज सिंह ने मुलाकात कर हौसला बढ़ाया

जागरूक स्वयं सहायता समूह की रुबीना सिलाई करते हुए  (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)   

आजीविका मिशन की जिला परियोजना प्रबंधक शीला शुक्ला कहती हैं -" यह गांव हमारे लिए चुनौतीपूर्ण था. मुस्लिम बहूल गांव और पर्दा प्रथा सबसे बड़ी रूकावट थी. लेकिन हमारी लगातार काउंसलिंग का असर नज़र आने लगा. 2017 में कई समूह गठित किए. महिलाओं को जोड़ा ,लेकिन कोरोना काल में दिक्कतें आई. अब दो सौ से ज्यादा महिलाएं अलग-अलग कारोबार से जुड़ी हुईं हैं. यहां 30 ट्रक और दूर छोटे वाहन उनके पास हैं जो कभी मजदूरी करतीं थी."  जिले के इस गांव में 16 समूहों के साथ 200 से ज्यादा महिलाएं काम कर रहीं हैं.यहां तक कि स्कूलों में यूनिफॉर्म का काम भी इन समूहों को दिया गया. 

इसी गांव की रहने वाली शौकत बी भी सोशल हीरो बन चुकी है. शौकत अपने बारे में बताती है - "जब बच्चे छोटे थे मेरे पति ने सुसाइड कर लिया. मेरी ज़िंदगी में कुछ नहीं बचा. मजदूरी से गुजर-बसर नहीं हो पा रही थी. मैंने " गुलाब स्वयं सहायता समूह " बनाया. 12 दूसरी महिलाओं को भी जोड़ा.समूह से दो लाख रुपए का लोन लेकर दो भैंस खरीदी. दूध बेचने के धंधे में मुझे फायदा हुआ. मेरी हिम्मत बढ़ गई. फिर छह लाख रुपए का लोन लेकर एक सेकेण्ड हेंड ट्रक लिया. लोन टाइम पर चुकाया. अब मेरे पास 4 ट्रक हैं. "

इसी गांव में और भी महिलाओं ने अपने आप को आत्मनिर्भर बनाया. गांव की नसीम बी ने अपने परिवार को विश्वास में लेकर पर्दा प्रथा को ख़त्म किया. " उज्जवल समूह " की सहायता से 6 लाख का लोन लिया. नसीम कहती है -" भैंस खरीदी.कटलरी, मसाला और आटा चक्की की दुकान खोली. वर्ल्ड विज़न योजना में जामफल के पौधे लगाए ,जहां एक लाख रुपए की जाली लगवाई." 

डीपीएम शीला शुक्ला आगे बताती हैं - "रुबीना सहित दूसरे समूह की महिलाओं के काम को प्रशासन के साथ सरकार ने सराहा. यहां लगातार समूह गठन के काम में मिशन जुटा हुआ है." गांव में ढाई सौ परिवारों में 70 से ज्यादा मुस्लिम  परिवार समूह में शामिल हैं.  

कलेक्टर ऋषभ गुप्ता खुद इन समूहों की जानकारी लेकर उन्हें प्रोत्साहित कर रहें हैं. ऋषभ गुप्ता कहते हैं - "आजीविका मिशन को निर्देश दिए हैं कि समूह की महिलाओं को सरकारी योजनाओं की लगातार जानकारी उपलब्ध कराई जाए. जिससे इसका पूरा लाभ महिला समूहों को मिले. और वे आत्मनिर्भर बन सके."

केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण मंत्रालय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुलाब स्वयं सहायता समूह जागरूक आजीविका समूह