SHG को अदाणी फाउंनडेशन की मदद

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में अदाणी फाउंडेशन ने SHG द्वारा शुरू किए गए दूध संग्रह केंद्र को बढ़ावा देने और लोगों को शामिल करने के लिए प्रेरित किया. दूध संग्रह केंद्र में बुक कीपिंग करने और व्यवसाय प्रबंधन की ज़रूरी जानकारी के लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है.

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मिस्बाह
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Adani foundation

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सरकार के अलावा कई कंपनियां स्वयं सहायता समूह की आर्थिक क्रान्ति में सहयोगी बन रही हैं. समूहों को मार्गदर्शन, संसाधन, और ट्रेनिंग देकर उनके व्यवसायों को मुनाफा बढ़ाने में मदद की जा रही है. छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के दुर्ग जिले के जामुल में अदाणी फाउंडेशन (Adani Foundation) की टीम ने स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) द्वारा शुरू किए गए दूध संग्रह केंद्र (milk collection center) को बढ़ावा देने और लोगों को शामिल करने के लिए प्रेरित किया. दूध संग्रह केंद्र में बुक कीपिंग (book keeping) करने और व्यवसाय प्रबंधन (bussiness Administration) की ज़रूरी जानकारी के लिए ट्रेनिंग (training) भी दी जा रही है.

प्रेमा कश्यप (Prema Kashyap) दिव्यांग होते हुए भी आज आत्मनिर्भर हैं और गांव वालों के लिए मिसाल बन रही है. जामुल के धमधा प्रखंड के मेडेसरा गांव की प्रेमा अपने पिता और बहन के साथ रहती हैं. कैंसर की वजह से साल 2002 में अपनी मां को खो देने के बाद प्रेमा ने कम उम्र में काफी परेशानियों का सामना किया. बड़ी बेटी होने के नाते उनपर कई जिम्मेदारियां आयीं जिन्हें प्रेमा ने बखूबी संभाला, पर ज़िम्मेदारियों के चलते उन्हें 10वीं के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा. कई चुनौतियों को पार कर आज वो टीम लीडर है. वे ग्रामीणों को भी डेयरी परियोजना से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहीं हैं. उनके प्रयासों की वजह से ग्रामीण संग्रह केंद्र में दूध लाने लगे हैं जिससे व्यवसाय बढ़ रहा है. 

प्रेमा को अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से चल रहे SHG के बारे में पता चला, तो वो उस समूह से जुड़ गई. समूह की सदस्य बनने के बाद वह कई आय-अर्जक गतिविधियों में योगदान देने लगीं, उनमें से एक था अचार और पापड़ बनाना. इससे धीरे धीरे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उनके जीवन में बदलाव की शुरुआत हुई. धीरे-धीरे उन्होंने अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बदल दिया है. प्रेमा ने अपने लिए बैटरी से चलने वाली हैंडीकैप ट्राई साइकिल भी खरीदी है. अब वो रोज ऑफिस आती हैं और सारे रजिस्टर खुद मेंटेन करती हैं. लोग उनके पास सलाह लेने के लिए आते हैं. 

प्रेमा कहती हैं कि, "मनुष्य शारीरिक रूप से विकलांग नहीं, बल्कि हार मानकर मानसिक रूप से विकलांग हो जाता है. मैं कभी भी सिर्फ अपने लिए काम नहीं करती, मैं सभी के लिए काम करना चाहती हूं.“

डेयरी केन्द्रों (Dairy Centers) में प्रशिक्षित लोगों की बहुत ज्यादा जरुरत है और इसे पूरा करने में अदाणी फाउंडेशन पूरा सहयोग कर रहा है. आने वाले दिनों में सही ट्रेनिंग पाकर लोगों को रोजगार मिलने में आसानी होगी. ज़्यादा से ज़्यादा लोग नए लघु उद्योग शुरू कर सकेंगे. इससे जुड़कर महिलाओं के सशक्तिकरण (women empowerment) का सपना पूरा होगा और उन्हें आर्थिक आज़ादी (financial freedom) आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगी. 

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