CG के सबसे खतरनाक Naxal प्रभावित Sukma जिले में अलग उत्साह है.यहां से लगभग 120 किमी केरलापेंदा गांव में बने प्राचीन मंदिर श्रीराम मंदिर में कपाट खुल गए. CRPF जवानों की मदद से यह संभव हो सका.यहां के ग्रामीण अब खुश हैं.पूजा शुरू हो सकी.
100 साल प्राचीन राम मंदिर से हटा नक्सलवाद का साया
छत्तीसगढ़ के सबसे naxalites इलाके सुकमा जिले के केरलापेंदा में 100 साल पुराने राम मंदिर से नक्सलवाद का साया हट गया.मंदिर के कपाट खुले.ग्रामीण जम कर झूमे और मंदिर की घंटियां बजने लगी.रामनवमी और राम उत्सव पर विशेष पूजा हुई. ग्रामीणों ने बताया इस मंदिर की पहले रोज़ पूजा होती होती थी.धीरे-धीरे यहां नक्सल गतिविधि बढ़ गई.एक दिन नक्सल पंचायत बैठा कर मंदिर की पूजा और कपाट बन करवा दिए.गांव वीरान हो गया.
श्री राम मंदिर अयोध्या जहां पहली बार राम जन्मोत्सव मना (Image: Social Media)
लगभग 21 साल यह मंदिर सूना रहा.CRPF 74 वीं बटालियन के जवानों की मदद से यह मंदिर खुला.
असिस्टेंट कमांडेंट सीआरपीएफ 74 वीं बटालियन संजय यादव बताते हैं-"वनवासियों के मन का भय दूर कर उन्हें गांव में लाया गया. वीरान गांव को वापस आबाद करने के प्रयास किए जा रहे.CRPF ने ही सबसे पहले कपाट खोले और पूजा कर मन का डर दूर किया."
दंडकारण्य जंगल में बसा हैं मंदिर, श्रीराम से जुड़े कई प्रसंग
राम वन गमन पथ दंडकारण्य जंगल में यह मंदिर और गांव होने के कारण महत्त्व और बढ़ जाता है. सुकमा ग्राउंड ज़ीरो और लाल आतंक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर लिखी पुस्तक के लेखक डॉ.ब्रह्मदीप अलूने बताते हैं-"यह इलाका छत्तीसढ़ का घने जंगल से घिरा हुआ है.नक्सली वनवासियों को केवल उनके गोत्र और आस्थाओं के आधार पर ही पूजा के लिए कहते हैं.केरलापेंदा मंदिर भी इसीलिए बंद करवाया. ऐसे जगंल में कई वीरान गांव या कुछ बस्तियां CRPF जवानों की सुरक्षा के भरोसे ही है.दंडकारण्य जंगल में ही श्री राम के साथ जुड़े कई प्रसंग हैं. इसलिए इस मंदिर का महत्व है."
केरलापेंदा गांव का प्राचीन राम मंदिर यूं था वीरान (Image: Ravivar Vichar)
ग्रामीणों का कहना है-"यह मंदिर हमारे पूर्वजों ने बनाया.यहां कि आकर्षक मूर्तियां ओडिशा से लाए थे. हम चाहते कि यहां मंदिर में नियमित पूजा हो.'