कहते है, एक को देखकर 100 उसके जैसा बनने की कोशिश करते है. बस बात होती है, उस एक में जिसनें शुरुआत की. अक्सर ऐसी कहानिया सुनाने को मिल जाती है,जहां समूहों में काम को बढ़ाने के प्रयास किये जाते है. लेकिन बात होती है उस एक महिला में जिसने बिज़नेस की शुरुआत की और अपनी जैसी और भी महिलाओं को रोज़गार दिया. ऐसी ही एक महिला, जिसका नाम अनीता शर्मा है, उसने भी नेचर फ्रेंडली कांच के कटोरे बनाकर रोज़गार तैयार किया है. अनीता राजस्थान के हिंडौनसिटी में रहती है.
अपने पति के साथ वे मिट्टी के गिलास और कटोरी बनाने में निपुण हो गईं थी और इसी से प्रोत्साहित होकर उसने इकोफ्रैंडली कांच के बर्तन बनाना शुरू कर दिया. अनीता ने कहा- "पर्यावरण संरक्षण के लिए मैंने डिस्पोजेबल कांच के कटोरे को विकल्प के रूप चुना और मिट्टी के साथ कांच के इकोफ्रैंडली कटोरे भी बनाना शुरू कर दिए है." इस काम में पति भी मददगार बने और फरवरी के महीने में घर में ऑटोमेटिक मशीन लगाकर गिलास और कटोरे बनाने लगे.
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शुरुआत में, क्यूंकि अनीता के पास कोई भी प्रशिक्षण नहीं था, उन्हें बहुत नुक्सान होता था. बिज़नेस का ख़्याल छोड़ देने का मन होता. लेकिन अनीता ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी और खुद के बलबूते पर यह काम करना सीखा. आज वे दिन में करीब 300 गिलास बना लेती है. उन्होंने एक स्वयं सहायता समूह की शुरुआत भी करी, जिसका नाम है श्री बांके बिहारी स्वयं सहायता समूह (SHG). आज उनके पास कटोरी और गिलास बनाने वाली चार मशीन हो गयी है. अपने Self Help Group में अनीता के साथ सारी महिलाएं अपने परिवारों को मदद कर पा रही है और स्वावलम्बी बनने की ओर कदम बढ़ा रही है.
अनीता जैसी और भी महिलाएं है हमारे देश में जो काम की शुरुआत कर, दूसरी महिलाओं को विकास की राह पर आगे बढ़ाती है. सरकार भी इनकी मदद करने के लिए बहुत सी पहलों की शुरुआत करती है. महिलाएं तेजी से आगे बढ़ रही है, और वो दिन दूर नहीं जब हर घर की महिला सशक्त बन जाएगी.