इतिहास गवाह है, की जब जब महिला ने बदलाव लाने की कोशिश की उसे पीछे खींचने के पूरी कोशिश की गयी. उसे डराया गया, धमकाया गया, डायन भी कहा गया. वे अगर काम करें तो उन्हें घर से निकल जाने के लिए कहा गया. हमेशा रोकने की कोशिश की गयी, और फिर भी आज वे जिस मुकाम पर पहुंच चुकी है, वह देखकर गर्व होता है उनपर. ऐसी ही झारखण्ड के लोहरदगा जिले में रहने वाली अंजनी देवी को आज लोग एक आत्मनिर्भर महिला के रूप में जानते है. ये वही लोग है जो उसे डायन कहकर प्रताड़ित किया करते थे.
लेकिन आज अंजनी ने ऐसा कमाल कर दिखाया है कि जिले का हर व्यक्ति उन पर गर्व करता है. झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) के स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़कर आज अंजनी देवी अपनी आजीविका तैयार कर वर्तमान में खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही हैं. वे मुर्गीपालन से महीने के छह से सात हजार रुपए कमा रही है. आज वे आत्मनिर्भर है और अपने फैसले स्वयं लेती हैं.
अंजनी ने हमेशा से बहुत बुरा भला सुना था, अपने समाज में. एक समय था जब अंजनी को आसपास के लोग अपशकुन मानते थे और उसे हमेशा डायन कह कर ताना दिया करते थे. लेकिन अंजनी ने कभी भी इन अत्याचारों से खुद को दुखी नहीं किया और अपने गांव के सखी मंडल से जुड़ी. अंजनी बताती हैं कि वर्ष 2004 में वे सरना महिला मंडल से जुड़ीं. कुछ समय बाद वह ग्राम संगठन में जुड़ीं और समूह से दस हजार रुपये ऋण लेकर मुर्गी पालन का काम शुरू किया. दोबारा से 60 हजार रुपये क्रेडिट लिंकेज के जरिये ऋण लेकर आज वह मुर्गी शेड बनवा कर अच्छे तरीके से मुर्गीपालन कर रही हैं.
बचे हुए पैसे अंजनी कृषि में भी लगाती है. वह अपने वर्तमान जीवन से खुश हैं और अन्य महिलाओं से भी JSLPS के Self Help Group से जुड़ने की अपील करती हैं. उनका कहना है- "मेरे जैसी और भी महिलाएं है आज इसी प्रकार से रोजगार अपना कर जीवन में आत्मनिर्भर बन रही हैं." अंजनी देवी समाज की हर महिला के लिए एक प्रेरणा है. अपने जीवन में उन्होंने हर दुख सहन किया, लोगों ने उन्हें क्या कुछ नहीं बोला, लेकिन आज वे अपना जीवन पुरे आत्मसम्मान के साथ जी रही है. सीख लेनी चाहिए हमें अंजनी जैसी हर महिला से, जो अपने सम्मान की रक्षा के लिए दुनिया से लड़ जाती है, लेकिन हार नहीं मानती.