कला और कौशल की भरमार है लेकिन इसे दुनिया के सामने कैसे लाए? यह सवाल है हर उस महिला का जो स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से बेहतरीन उत्पाद बनतीं है. पुरे देश में महिलाएं छोटे-छोटे गांव में अपने काम को मेहनत से करतीं तो है लेकिन शायद इनकी मेहनत के नतीजे उतने अच्छे नहीं जितने हो सकते है. यही बात समझ आई मुंबई की एक माँ बेटे की जोड़ी को. अपूर्वा पुरोहित और उनके बेटे सिद्धार्थ ने आज़ोल नाम का एक स्टार्टअप शुरू किया जो महिलाओं और कई किसानों के लिए एक ऐसा मंच बना जिसके द्वारा वे अपने उत्पाद देश और दुनिया तक पहुंचा पा रहे हैं. आज़ोल एक ऐसा ब्रांड है, जो पूरे महाराष्ट्र के स्वयं सहायता समूह को एक साथ लाता है, ताकि राज्य की उपज का प्रदर्शन किया जा सके और इसे एक बड़ी ऑडियंस के लिए उपलब्ध कराया जा सके.
Image Credits: Azzol
इसके को-फाउंडर्स अपूर्वा और उनके बेटे सिद्धार्थ ने कोरोना काल के दौरान 'आज़ोल' की स्थापना की. वे ग्रामीण महाराष्ट्र के महिलाओं के नेतृत्व वाले एक स्वयं सहायता समूह से मिले, जो अद्भुत खाद्य उत्पाद बना रहे थे. ये उत्पाद बहुत ही बेहतरीन गुणवत्ता के थे. तमाम चुनौतियों और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद इन महिलाएं का काम अविश्वसनीय था. अपूर्वा और उनके बेटे ने इन ग्रुप्स के साथ पार्टनरशिप की और उनके उत्पादों को कंस्यूमर्स तक लाए. अपने इस स्टार्टअप के जरिए आजोल तमाम ट्राइबल समुदायों की महिलाओं और छोटे उद्यमियों का सहारा बना है. कई व्यंजन और तकनीकें उनकी स्वयं सहायता समूह की परंपरा का हिस्सा रही हैं. यही आजोल के उत्पादों की यूएसपी है. आज़ोल के साथ महिलाएं अपने पैरों पर खड़े रहने में सक्षम हुई और उनका जीवन सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहा है.
अभी पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र ने साल 2023 को 'मिलेट वर्ष' घोषित किया था. इसी वर्ष महाराष्ट्र ने सरकार ने आज़ोल को अपना बिज़नेस बढ़ाने के लिए फंडिंग दी. तभी से आज़ोल का बिज़नेस तेजी से बढ़ रहा है. अपूर्वा और सिद्धार्थ अपने स्टार्टअप के जरिए शुरू से ही पर्यावरण, समाज, और आर्थिक लाभ प्रदान करना चाहते थे. इसी उद्देश्य के साथ आज़ोल चटनी, मसाले, पापड़ और कई ऑर्गेनिक और सस्टेनेबल उत्पाद पेश करता है. उनकी वेबसाइट में आपको ऐसे कई ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स आसानी से मिल सकेंगे. जब भी कोई महिला अपना हाथों और दिल से किसी उत्पाद को बनती है तो वह चाहती है कि यह हर किसी तक पहुंचे. आज़ोल की यह पहल देश की हर महिला के लिए उनके सपने जैसा है, जो आज पूरा हो रहा है. महिलाएं अब आसानी से अपने उत्पाद बेच पा रही है और सशक्तिकरण की और एक तेज़ी से बढ़ रही है. इस तरह कि और भी कहानियां है, जो महाराष्ट्र के लिए गर्व की बात है और आज महाराष्ट्र दिवस पर इस तरह की कहानियों को सराहना भी जाना चाहिए.