"इसको ज़हर दे दो, क्यूंकि ये तुम्हारे परिवार पर भोज बन जाएगी", यह शब्द थे उसके परिवार के. एक छोटे से रूढ़िवादी परिवार इस स्पेशल लड़की का जन्म हुआ था. दोनों कोहनियों में जोड़ नहीं थे, बाएं हाथ में 2 और दाहिने हाथ में 3 उंगलियां ही थी, और हाथ नॉर्मल के मुकाबले आकर में 1/4th. कोई और होता तो शायद हर मान लेता और अपनी ज़िन्दगी पर हर दिन रोता, लेकिन बबली गंभीर ऐसी नहीं थी. भगवान ने भी अलग बना कर भेजा कि आज वो पूरी दुनिया से अलग बन चुकी है. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने एक ब्यूटीशियन के रूप में काम करना शुरू किया और कुछ ही समय में काम में उनका परफेक्शन हो गया.
उस वक़्त से वह विकलांग लोगों के लिए काम कर रही है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है. 2013 में, गंभीर को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा नई दिल्ली में 'विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार' के दौरान उत्कृष्ट रचनात्मक वयस्क व्यक्ति पुरस्कार (महिला) से सम्मानित किया गया. 2014 में, उन्हें अभिनेत्री माधुरी दीक्षित, ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज और राज्यसभा सांसद मैरी कॉम और नॉवेलिस्ट शोभा डे द्वारा 'वुमन प्राइड अवार्ड' से सम्मानित किया गया. 2023 में, उन्हें 'डॉ सरोजिनी नायडू अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रतलाम में उनका अभिनंदन भी किया. 14 राष्ट्रीय और एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार की विजेता बन चुकी है, बबली गंभीर.
वह बताती है की उसके पिता ही उसका सहारा थे. वे बबली के हाथों को किसी जादू से कम नहीं मानते थे. पूरी दुनिया से बचाकर कर रखा अपनी बेटी को, और आज वो जिस मुकाम पर है, वह अविश्वसनीय है. अपने सैलून के साथ, बबली कई लोगों को रोजगार प्रदान करती है. बहुत से टॉक शोज में भी आ चुकी है और आज देश की 'युथ आइकन' बन गई है. उसने ब्यूटीशियन के क्षेत्र की मास्टर बनने के लिए एक सरकारी नौकरी को तक अस्वीकार कर दिया था. वह बताती है कि उसके पापा ने कहा था- "बबली, कभी हार मत मानो" और आज पूरा देश है जो देख रहा है की वह किस मुकाम पर पहुंच चुकी है.