बेकरी सिस्टर्स की 'अपना बेकरी'

डांग के आदिवासी जिले के नदगखड़ी गांव में 10 महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह यह बेकरी चला रहे है, जिसका नाम है, 'अपना बेकरी'. चार साल की कड़ी मेहनत के बाद इस समूह को 'बेकरी सिस्टर्स' के नाम से जाना जाता है. यहां रागी आधारित बेक्ड फूड मिलता है.

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रिसिका जोशी
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apna bakery

Image Credits: Republic world

बेकरी का नाम सुनते ही सबसे पहले बिस्कुट, कुकीज़, ब्रेड और केक  का स्वाद याद आ जाता है. ऐसा कोई होगा, जिन्हे बेकरी पर जा कर मुँह में पानी ना आए. लेकिन अगर स्वाद के साथ सेहत भी मिलने लगे तो बात ही कुछ और होगी. ऐसे ही एक बेकरी अहमदाबाद गुजरात में भी चल रही है, जहां रागी आधारित बेक्ड फूड मिलता है. डांग के आदिवासी जिले के नदगखड़ी गांव में 10 महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह यह बकरी चला रहे है, जिसका नाम है, 'अपना बेकरी'. इनके इस 'रिद्वि सिडवी स्वयं सहायता समूह' का गठन सरकार की सखी मंडल योजना के तहत किया गया. चार साल की कड़ी मेहनत के बाद इस समूह को 'बेकरी सिस्टर्स' के नाम से जाना जाता है. 

कल्पना गायकवाड़ जो की इस बेकरी की एक हिस्सेदार है उन्होंने कहा- "जब हमने बेकरी शुरू की थी तो हम आटे के बिस्कुट बनाते थे, लेकिन यहां काम करने वाली महिलाओं ने सुझाव दिया कि रागी का खाना बनाना शुरू करते है, क्यूंकि रागी में प्रोटीन और कई अन्य विटामिन होते हैं." बेकरी में बनाने वाली चीज़ो को सूरत, सापूतारा, अहमदाबाद और मुंबई तक भी भेजा जाता है. SHG महिलाओं के इस ग्रुप ने साल 2017 में 'अपना बेकरी' नाम से बिजनेस शुरू किया. बेकरी में काम करने वाली जयश्री भोये ने कहा- "खेतिहर मज़दूर के तौर पर हमें सिर्फ100 रुपये दिहाड़ी मिलती थी. अब हमें 200 रुपये रोज़ मिलते हैं. पहले हमें आर्थिक कठिनाई होती थी और अपने पतियों से पैसे मांगना पड़ता था लेकिन अब हम आत्मनिर्भर हैं." 

नदगखड़ी गांव की इन महिलाओं ने यह बेकरी खोल कर साबित कर दिया की कोई काम मुश्किल नहीं है. अगर महिलाएं आत्मनिर्भर बनना चाहे तो कोई उन्हें रोक नहीं सकता. देश के हर स्वयं सहायता समूह को इन महिलाओं से सीख लेनी चाहिए और सशक्तिकरण की और एक और कदम बढ़ाना चाहिए.

अपना बेकरी रिद्वि सिडवी स्वयं सहायता समूह सखी मंडल योजना