ससुराल ने ठुकराया, आज 'बैंक सखी' बन संवार रही है ठीकरी को

जिले में पूजा ने सफलता के ऐसे रिकॉर्ड बना दिए कि खुद दूसरों के लिए आदर्श बन गई. जिले में अपने काम के बलबूते पर नंबर वन पायदान पर है. बारहवीं पास पूजा आज करोड़ों रुपए का हिसाब चुटकियों में कर देती है.

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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Theekri SHG

Image Credits: Ravivar Vichar

फर्श पर कई महिलाओं के बीच घिरी हुई, पूजा यादव. महिलाओं की ऐसी भीड़ रोज लग जाती है. पूजा इन महिलाओं के कहते खोल रही, तो किसी के आधारकार्ड बना रही. बड़वानी जिले के ठीकरी ब्लॉक में आजीविका मिशन सेंटर पर रोज़ ये नज़ारा दिखता है. जिले में पूजा सफलता के ऐसे रिकॉर्ड बना दिए कि खुद दूसरों के लिए आदर्श बन गई. जिले में अपने काम के बलबूते पर नंबर वन पायदान पर है. आज केवल बारहवीं पास पूजा आज करोड़ों रुपए का हिसाब चुटकियों में कर देती है. लेकिन पूजा को सफलता का ये मुकाम यूहीं नहीं मिला.इस सफर की शुरुआत बहुत कड़वी है. 

अपने लेपटॉप पर काम में व्यस्त पूजा कहती है -"आज मैं आठ घंटे से ज्यादा समय ग्रामीण महिलाओं से घिरी रहती हूं. कभी-कभी खुद पर विश्वास नहीं होता. हर लड़की की तरह मेरे भी सपने थे. शादी अच्छे घर हो. मेरा भी अच्छा परिवार हो. ससुराल वाले मुझे प्यार करे. मेरी शादी भी हुई ,लेकिन मेरे सपने चकनाचूर हो गए. मुझे ससुराल वालों ने नकार दिया. मुझे भगा दिया. ज़िंदगी में अलग-थलग पड़ गई.जीवन में उदासी के अलावा कुछ नहीं बचा

ठीकरी तहसील के ही छोटे से गांव सेगवाल की रहने वाली पूजा अपनी पढ़ाई बारहवीं तक कर पाई. परिवार के लोग भी बहुत परेशान थे.पूजा ने कुछ दिन बाद चुप्पी तोड़ी. पूजा आगे बताती  है - "मैंने खुद को साबित

 करने की ठान ली.तीन साल पहले गणगौर महिला स्वसहायता समूह बनाया. ग्राम संगठन से जुड़ी. सबसे बड़ी दिक्क्त थी नई टेक्नोलॉजी नहीं आती थी. लेपटॉप ऑपरेट करना सीखा. देखते ही देखते सब आसान लगने लगा.अब तक मैं 95 समूहों कि सैकड़ों दीदियों को दो करोड़ अस्सी लाख रुपए के लोन दिलवा चुकी हूं. ये जरूरतमंद महिलाएं अपने रोजगार से जुड़ गई.आजीविका मिशन से  मेरी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई." 

पूजा ने जिन महिलाओं को लोन दिलवाए वे महिलाएं किराना,जनरल स्टोर, आटा चक्की, सिलाई मशीने और मवेशी पालन का कारोबार कर रहीं हैं. सेगवाल की लक्ष्मी बाई कहती हैं -" लोन मिल गया तो दूध डेयरी खोल ली. मजदूरी और दूसरे काम में भी घर नहीं चल पाता था." एक दूसरी दीदी सुनीता धनगढ़ बताती हैं -" गांव मदरानिया में ही लोन से छह भैसें खरीदी. दूध बेच कर कमाई शुरू कर दी. अब मैं  मजदूरी पर नहीं जाती.ये लोन हमें पूजा दीदी ने दिलवाए. हम लोग कभी बैंक गए ही नहीं."

ब्लॉक प्रबंधक श्रद्धा शर्मा कहती हैं - "यहां दीदियां बहुत मेहनती हैं. सभी क्षेत्र में ये दीदियां काम कर रहीं हैं. इन सभी को लगातार प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है. सहायक ब्लॉक प्रबंधक सूरज जमरे हर सेंटर का नियमित दौरा करती है." जिले में चर्चित हुए यहां के ग्राम संगठन को लेकर जिला पंचायत के परियोजना प्रबंधक योगेश तिवारी ने बताया- "ठीकरी ब्लॉक में सभी सहायता समूह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. मजदूरी  से अब ये दीदियां खुद के पैरों पर खड़ी हो रही हैं.पूजा सबसे सफल बैंक सखी कि पहचान बना चुकी है।" 

आदिवासी जिले में मजदूरी को अपनी किस्मत मान लेने वाली ये दीदियां खुद अब अपनी किस्मत बदलने को बेताब हैं. पूजा और परिवार को ख़ुशी है कि तलाक जैसी घटना को भूल कर वह अब ग्रेजुएशन कर रही है. 

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