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मध्यप्रदेश की सरकार ने महिलाओं के लिए कई ऐसी कई परियोजनाएं शुरू की, जो आज प्रदेश की बेटियों और महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहीं है. प्रदेश की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़कर अपने जैसी कमज़ोर महिलाओं को सशक्त बनाने की राह तैयार कर रहीं हैं और खुद भी आत्मनिर्भर बन रहीं हैं. मध्य प्रदेश में इस बात का उदाहरण बना दमोह जिले का बटियागढ़ विकासखंड का फुटेरा कला गांव. गांव की एक महिला पूजा राय पहले घर में बस रसोई तक सीमित थी. इच्छा तो होती होगी काम करने की, लेकिन मन में सिर्फ एक सवाल था, करुँगी क्या? लेकिन वह ठान चुकी थी, अपनी ज़िन्दगी सिर्फ रसोई में तो नहीं बितानी. आज पूजा एक बैंक सखी हैं, और अपने ही गांव में ना जाने कितनी महिलाओं और लोगों की मदद कर रहीं हैं. पूजा अब जाकर खुश हुई, जब उन्होंने काम करना शुरू किया.
कुछ समय पहले पूजा एक self help group से जुड़ गयी, और आज खुद को आर्थिक रूप से मजबूत कर रहीं हैं. उन्होंने SHG की मदद से अपना कियोस्क सेंटर खोला और आज कम्प्यूटर से खातों में जमा राशि और निकासी का लेनदेन करती है. उन्होंने बताया- "मेरे पास मेनवार, पिपरिया, सिमरी सहित अन्य गांवों के लोग अपना पैसा निकलवाने आते हैं. मैं इन लोगों को बैंक संबंधी योजनाओं की जानकारी भी साझा करती हूं. मैं किसान सम्मान निधि, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, बुजुर्गों को और दिव्यांगों को मासिक पेंशन, बिजली का बिल, MP ऑनलाइन के जरिए छात्रवृत्ति फ्रॉम और बैंकिंग से जुड़े सारे काम खुद कर रहीं हूं." पूजा एक ग्रेजुएट है, और इस सेंटर कि मदद से वे महीने का 10 से 12 हजार रुपये कमा रहीं है. पूजा की यह कहानी सुनकर, एक बात तो साबित हो गयी कि हम सभी को अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक लक्ष्य जरूरी है. अगर लक्ष्य ही ना हो तो इंसान आगे कभी नहीं बढ़ सकता. हर महिला को पूजा से सीख लेनी चाहिए और अपने जीवन को बदलने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए.
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