बिहार में लाइब्रेरी बनी सपनों का घर

बिहार के छोटे कस्बों और गाँवों में 45 ब्लॉक्स में सामुदायिक पुस्तकालय चलाए जा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी को कम करने और लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए बिहार राज्य सरकार की यह एक नयी पहल है.

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रिसिका जोशी
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Bihar Library

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"पढ़ने का अधिकार" हमारे देश के मौलिक अधिकारों में आता है. माँ बाप हमेशा चाहते है की उनकी बच्चे अच्छी शिक्षा ले और अपनी ज़िन्दगियों में आगे बढे. कहते है की एक बच्चे का पहली शिक्षक उसकी माँ होती है, क्यूंकि वह अपनी माँ से ज़िन्दगी जीना सीखता है और अगर ये ही माँ उसे हर वो ज्ञान दे जो उसे आगे बढ़ने के लिए काम आए, तो बात ही निराली होगी. बिहार की सरकार ने भी हर ग्रामीण महिला को फिर से पढ़ने और सीखने का मौका देने की ठान ली है. बिहार के छोटे कस्बों और गाँवों में 45 ब्लॉक्स में सामुदायिक पुस्तकालय चलाए जा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी को कम करने और लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए बिहार राज्य सरकार की यह एक नयी पहल है. जल्द ही प्रदेश के 32 जिलों में और पुस्तकालय शुरू करने का लक्ष्य है बिहार सरकार का.

बिहार में मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर में 10 फरवरी को एक पुस्तकालय शुरू किया जो धीरे-धीरे ही सही, लेकिन निश्चित रूप से छोटे से कस्बे में लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रहा है. ऐसे छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की भी सुविधा है, जिनके घर पर ऐसे साधन नहीं है. एक महिला जिनका नाम स्वीटी है उन्होनें कहा- "यह हमारे जैसे छोटे शहर के लोगों के लिए ये किसी सपने के सच होने जैसा है." यह पहल बिहार रूरल लाइवलीहुड्स प्रमोशन सोसाइटी (BRLPS) के माध्यम से एक आजीविका परियोजना है. फरवरी 2023 में जीविका ने कम्युनिटी लाइब्रेरी और करियर डेवलपमेंट सेंटर प्रोग्राम लॉन्च किया. वहीं भारत सरकार की दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना भी बिहार में जीविका के सहयोग से चल रही है. यह योजना, जो ग्रामीण विकास मंत्रालय की पहलों में से एक है, युवाओं को कौशल प्रदान करके और उन्हें नौकरी खोजने में मदद करके ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देना चाहती है.

शिक्षा और आजीविका सीवान के जिला कार्यक्रम समन्वयक राकेश कुमार ने बताया- "कुछ पुस्तकालयों में प्रोजेक्टर भी लगे है जो लोगों को  पढ़ाई करने में बहुत मदद करते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये पुस्तकालय इन दूरस्थ क्षेत्रों में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं.” जीविका की मदद से हमने सीवान जिले के गोरियाकोठी गाँव में एक पुस्तकालय और करियर विकास केंद्र खोला है." किताबों और पत्रिकाओं के साथ-साथ गुणात्मक और अत्याधुनिक डिजिटल शिक्षा के लिए जगह है.

जीविका के कौशल विकास और रोजगार कार्यक्रम से अब तक राज्य के लगभग 30 लाख युवा लाभान्वित हो चुके हैं. इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वास्थ्य देखभाल आदि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें प्रशिक्षण दिया गया है. महिला सशक्तीकरण पटना में राजकमल पब्लिकेशन के लेखक संजय सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, "जीविका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोर महिला वोटर का मुख्य आधार है. समूह से जुड़ने के बाद ग्रामीण महिलाओं के जीवन में काफ़ी बदलाव आया है. शराबबंदी, कौशल विकास योजना हो या ग्रामीण रोजगार की समृद्धि. सबसे जीविका जुड़ा हुआ था. उन्होंने आगे कहा, "पुस्तकालय को जीविका से जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के आधार को भी बढ़ाया है. ग्रामीण इलाक़े में जागरूकता की कमी,शिक्षा का अभाव और भ्रष्टाचार की वजह से जीविका योजना में कई समस्याएं भी दिखती है."