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तिलई में कई महिलाएं अब मजदूरी छोड़ बागवानी और सब्जी उत्पादन कर रहीं (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
बतख, केंचुआ, खाद ने महिलाओं की ज़िंदगी खुशियों से भर दी. कभी मजदूरी करने वाली महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने के लिए यही बतख, केंचुआ का कारोबार सहारा बन गए. जांजगीर-चांपा (Janjgeer-Chanpa) जिले के अकलतरा ब्लॉक (Akaltara Block) की सरोज साहू कहती हैं -"तिलई (Tilai) गांव में ज्यादातर मजदूरी करने वाली महिलाएं थी. इतना कमा भी नहीं पा रहीं थीं. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) से जुड़कर आरती स्वयं सहायता समूह (Slef Help Group) बनाया. और गौठान में जगह मिल गई. बस यहीं से ज़िंदगी पलट गई. और हम आत्मनिर्भर हो गए."
छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के जांजगीर-चांपा (Janjgeer-Chanpa) के तिलई गांव के कई समूह से जुड़ी महिलाएं अलग-अलग काम कर रोजगार कर रहीं. इन समूह (SHG) के सदस्यों को आजीविका मिशन(Ajeevika Mission) के अधिकारियों ने ट्रेनिंग (Training) देकर काबिल बना दिया. ये महिलाएं हर महीने अच्छा कमा रहीं. इससे इनके परिवार को आर्थिक ताकत मिल गई. महिलाओं ने अपनी मेहनत से इस गांव को आदर्श बना दिया. आजीविका मिशन बिहान(Ajeevika Mission Bihan) और गौठान (Gauthan) के आपसी तालमेल से इन महिलाओं को रोजगार और जीने का नया रास्ता मिल गया. अधिकारी पूरे जिले में समूहों को नई-नई योजनाओं को समझा कर लगातार प्रोत्साहित कर रहे.
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अकलतरा ब्लॉक के तिलई में मुर्गी पालन सफल रहा (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
आरती समूह की अध्यक्ष सरोज आगे बताती हैं -" हमारे समूह ने मिलकर गौठान में वर्मी कंपोज़्ड खाद (Vermicompost Fertilizer) और बतख पालन का काम शुरू किया. पहली बार में ही हमें बहुत फायदा हुआ. लगभग साढ़े तीन हजार बोरी जैविक खाद बनाकर कर सोसाइटी को बेची. 2 लाख रुपए का फायदा हुआ. साथ ही केंचुआ किसानों को दिया,इसमें 30 हजार रुपए और बतख पालन में भी हमने 30 हजार रुपए कमाए. शुरू में 75 हजार रुपए मिशन से मदद ली. बैंक लिंकेज 2 लाख रुपए का लिया.हम परिवार के लोग अच्छे से जिंदगी बिता रहे."
इस गौठान में ही दूसरे समूह की महिलाएं भी अपना कारोबार कर रहीं. जय मां लक्ष्मी समूह की महिलाएं मुर्गी पालन और मछली पालन (Fishing) से अपनी कमाई बढ़ने में जुटी हुईं हैं. समूह की अध्यक्ष सत्या सोनी कहती हैं -"केवल 17 हजार रुपए लगा कर हमने मुर्गी पालन शुरू किया. आजीविका मिशन से हमें पूरा साथ मिला. हमने पहली बार में ही 20 हजार रुपए कमा लिए. हमारे समूह की कई महिलाएं अब मजदूरी के लिए परेशान नहीं होती. आजीविका मिशन से 75 हजार रुपए और बैंक लिंकेज से एक लाख रुपए की मदद ली."
सब्जियों का बंबर उत्पादन
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तिलई में महिलाओं ने बेंगन और दूसरी सब्जियों का बंबर उत्पादन किया (फोटो क्रेडिट : रविवार विचार)
इस गांव की कई महिलाओं की आर्थिक हालत इतनी ख़राब थी कि वे अपने घर के लिए सब्जी तक रोज खरीद नहीं सकती थीं. जय अन्नधारी समूह की अनीता यादव बताती हैं -" हमें आजीविका मिशन के साथ समूह बनाने का मौका मिला. समूह से दस महिलाएं जुड़ीं. हमने गौठान में सब्जी लगाने का सोचा. 41 हजार रुपए की सब्जी लगाई. लोकल बजार में यही सब्जी 54 हजार रुपए में बेची. 13 का मुनाफा हुआ. हम अब और अधिक सब्जी लगाएंगे. अब सब्जी की देखभाल करना सीख गए." इसी गौठान में दुर्गा समूह ने भी सब्जी उत्पादन (Vegetable Production) किया. राजेश्वरी और राम बाई बताती हैं -" हमने तो कभी सोचा नहीं था कि मजदूरी करते हुए बागवानी करेंगे और मालकिन बन जाएंगे. हमने एक ही साल में 60 हजार रुपए की सब्जी बेची. बहुत फायदा हुआ.
तिलई को 'रीपा' की भी 2 करोड़ की सौगात
जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा ब्लॉक में कई समूह काम कर रहे, जिनको लगातार गाइड किया जा रहा. एडीओ बैजनाथ राठौर ने बताया - "गौठान में ये सभी समूह के सदस्य बहुत मेहनत कर रहे. वर्मी कंपोज़्ड खाद और सब्जी उत्पादन जैसे सभी काम यहां की महिलाओं ने शुरू किया. इसमें वे सफल हुईं. इनकी आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार हुआ."
इसी अकलतरा ब्लॉक में लगातार बढ़िया काम होने से महिलाओं में उत्साह है. नतीजा यह रहा कि शासन ने रीपा (RIPA) (रूरल इंडस्ट्रियल पार्क) के तहत तिलई में 2 करोड़ रुपए दिए गए. आजीविका मिशन के जिला मिशन प्रबंधक (DMM) उपेंद्र कुमार दुबे कहते हैं -"तिलई की महिलाओं अपनी मेहनत से इस ब्लॉक को आदर्श बना दिया. यहां वर्मी कंपोज़्ड खाद, सब्जी पालन सहित दूसरे कारोबार में महिलाओं ने बहुत मेहनत की. जिले में 8 हजार समूह में 50 हजार से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिल सका."
इस मिशन में अकलतरा ब्लॉक के सीईओ (CEO) जनपद (Janpad) सत्यव्रत तिवारी भी खुद महिलाओं से मिले. उन्हें प्रोत्साहित कर आश्वासन दिया. लगातार गाइड किया जा रहा है. जिले में ककून पालन सहित कई रोजगार मिल जाने के बाद सीईओ (CEO) जिला पंचायत (ZP) ज्योति पटेल ने लगातार समीक्षा की. कई समूह से मिलने साइट विजिट की. उन्होंने महिलाओं का हौसला बढ़ाया.
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