छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) की पशु आहार निर्माण योजना (Pashu Ahaar Nirman Yojana) ने कई महिलाओं की ज़िंदगी बदल दी. कभी मजदूरी करने पर मजबूर ये महिलाएं अब पशु आहार संयंत्र की मालकिन बना कर नया कारोबार संभाल रहीं हैं. इन मजूदरी से मालकिन बनी महिलाओं को हौसला बढ़ाने मुख्य मंत्री भूपेश बघेल खुद ने वर्चुअल (virtual) शुभारंभ किया. अब इस सयंत्र से हजारों का कारोबार हो रहा. बिलासपुर (Bilaspur) जिले के बिल्हा ब्लॉक के गांव अकलतरी में यह यूनिट चलाई जा रही है. महात्मा गांधी ग्रामीण औद्यौगिक पार्क (REPA) के अंतर्गत यह यूनिट लगा कर आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) से जुड़ी इन महिलाओं को नया रोजगार दिया.
इस यूनिट को चलने वाली विहान (SRLM) समूह की जय भारत महिला स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष आरती धीवर कहती है -"मैं तो बरसों से मजदूरी करती थी. बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा होता था. मैनें कुछ महिलाओं के साथ समूह बनाया. आजीविका मिशन के अधिकारियों ने मदद की. सरकार ने हमारे लिए पशु आहार बनाने का कारखाना खोल कर ज़िंदगी ही बदल दी. हमारे गांव और आसपास बहुत संख्या में पालतू मवेशी हैं. पशु आहार का सेंटर हम आठ महिलाएं मिलकर संभालती हैं. हमने इस सीज़न में ही 35 हजार रुपए कमाए. मुझे ख़ुशी है कि हमारे कारखाने की शुरुआत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की."
मील में जमा कर रखे कई तरह पशु आहार (Image Credits: Ravivar Vichar)
इन दिनों पूरे छत्तीसगढ़ में इस पशु आहार सयंत्र की सफलता की चर्चा बनी हुई है. जिला पंचायत के जिला मिशन प्रबंधक रामेन्द्र सिंह गुर्जर कहते हैं - "बिल्हा ब्लॉक का अकलतरी गांव बहुत छोटा है, लेकिन यहां पशु पालन और दूध उत्पादकों की संख्या बहुत अधिक होने से रीपा के तहत पशु आहार सयंत्र खोला गया. शासन ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए इसकी पूरी बागडोर यहां महिलाओं के हाथों में दे दी. इस महिलाओं ने मेहनत कर 172 क्विंटल आहार बना कर 4 लाख 30 हजार रुपए में बेचा.जिससे महिलाओं को सीधे 35 हजार रुपए की कमाई हुई."
फ़िलहाल लोकल मार्केट में इस उत्पाद को बेचा जा रहा है. ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर नंदकिशोर सिंह कहते हैं -"महिलाएं बहुत खुश हैं. वर्चुअल ओपनिंग के बाद सीएम भूपेश बघेल खुद यहां यूनिट में आकर दीदियों से मिल चुकें हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि समूह सदस्यों को ज्यादा लाभ हो, इसके लिए प्रयास किए जाएंगे."
इस यूनिट में सरसों की खली, कैल्शियम पाऊडर, कोड़ा खली, कपास की खली, मकई की खली जैसे उत्पाद बनाए जा रहे जिसे पशु उत्पादक सीधे यूनिट से खरीद रहे. इस उत्पादन के बीच से ही कई पशु पालकों ने लगभग 100 क्विंटल पशु आहार बुक एडवांस में कर दिया है. मिनी फीड मील यूनिट को लेकर समूह की उपाध्यक्ष प्रेमलता और ज्योति,शकुंतला, किरण, मालती, प्रीति, सुनीता, रंभा, अंजनी आदि का कहना है कि हमारी मजदूरी छूट गई. अब हमारी कमाई अच्छी होने से अपने घर को अच्छे से चला पा रहे. उन्होंने निर्देश दिए कि समूह सदस्यों को जरूरी सुविधाएं मिलती रहे.