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अपनी छत पर बागवानी करते महेश बंसल image credit : Ravivar
सहलाते ही झूम उठते हैं पौधे, 500 से ज्यादा गमलों से सजाई छत
यह कहानी है इंदौर निवासी महेश बंसल की.अपने कारोबार से निवृत होकर एक दिन कुछ पौधे ले आए. किसी समय घर में पौधों की खरीदी का विरोध करने वाले बंसल ने अपनी पूरी छत को पौधों से सजा दिया.
दीवानगी बढ़ती गई.पौधों से लगाव ऐसा हुआ कि अब पौधों को सहलाने पर वे भी झूम उठते हैं.
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महेश बंसल कहते हैं-"बच्चों के विदेश जाने के बाद उनका मन बागवानी में लगा. लगभग 12 सालों उन्होंने ने 500 गमले तैयार कर लिए. मैं मानता हूं पौधे पर्यावरण का प्रतीक तो है ही लेकिन पौधों से धैर्यता, सुकून और आत्मविश्वास सीखा जा सकता है.किसी पौधे की देखभाल लगातार करने पर निर्धारित समय पर ही उनमें फूल खिलते हैं.स्वास्थ्य के साथ मन ऊर्जा से भरा रहता है." बंसल ने अपनी छत को बगीचा बना दिया.
दुर्लभ प्रजातियों के साथ सूखी पत्तियों का उपयोग
महेश बंसल की बागवानी की खासियत है उन्होंने दुर्लभ प्रजातियों के पौधों को भी ख़ासतौर पर शामिल किया.यहां तक कि कई पौधे उन्होंने ऑनलाइन मंगवाए.एडेनियम,चंपा,बोगेनविलिया,पीला पलाश सहित कई पौधों की कई वैराइटी को संरक्षित कर दिया.
कई ऐसे पौधे भी हैं जो बिना देखभाल के संरक्षित नहीं किए जा सकते.      
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बंसल कहते हैं-"पौधों में उनके यहां स्नेल वाइल,गणेश पुष्प,गोल्ड फिंगर,क़्वींस टियर, चेन ऑफ़ ग्लोरी जैसे पौधों के अलावा वे लंदन से भी पौधे लाए.मैंने सूखी पत्तियों को कॉलोनी और सड़क से एकत्रित कर भी खाद बना लिया.जो सबसे ज्यादा लाभदायक है."          
महेश बंसल की बागवानी और छत की सजावट देखने पर्यावरण प्रेमी दूर दूर से आते हैं. बंसल के निवास पर  15 से 20 साल पुराने पौधे भी पूरी तरह सुरक्षित हैं.
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