कई घरेलु महिलाएं सिर्फ घर में ही झाड़ू-पौंछा या चार दीवारी में ज़िंदगी मान कर बैठ जाती हैं.लेकिन ऐसी ही कुछ गृहणियों ने साबित कर दिया कि वे घर संभालने के साथ स्वयं सिद्धा भी हैं. कोरोना काल में जहां लोग पलायन और आर्थिक संकट से जूझ रहे थे वहीं ग्वालियर की चंद महिलाओं ने घर से निकल कर ऐसी मिसाल पेश की,कि उनकी संस्था स्वयं सिद्धा ने सौ से ज्यादा महिलाओं को जॉब दिया. पंद्रह सौ रुपए से शुरू किया यह कारोबार आज पांच लाख रुपए सालाना पहुंच गया. लोकल फॉर वोकल कॉन्सेप्ट को साबित कर दिया. काम की चर्चा इतनी हुई कि सुषमा स्वराज अवार्ड 2023 ,कैट की ओर से महिला उद्यमिता अवार्ड 2023 ,दिव्य ज्योति संस्थान के तू है शक्ति अवार्ड 2023 और नाबार्ड की ओर से बेस्ट वुमन इंटरप्रन्योर अवार्ड मिल चुके हैं.
कोरोना काल में परेशान महिलाओं को देख मप्र ग्वालियर की महिमा तारे ने अपनी कुछ मित्रों से घरेलु प्रोडक्ट बनाने का प्लान किया. तारे कहती हैं -"मैंने पंद्रह सौ रुपए से अपनी मित्रों के साथ पापड़ बनाना शुरू किया. घर के कमरे को ही ऑफिस और दूसरे मित्र के घर को वर्क शॉप. शुरू में कॉलोनी में कुछ परिवारों ने ख़रीदा, कुछ ने खाली हाथ लौटा दिया. हम निराश न हुए. और संस्था का नाम स्वयं सिद्धा रख लिया."
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धीरे-धीरे कोरोना के हालात और सामान्य होने लगे.इस समूह में रंजना कक्कड़, रेखा राव, सारिका सप्रे,आभा घाणेकर शुरुआत में जुड़ीं.सारिका कहती हैं -" हमने तय किया कि घरेलु प्रोडक्ट बना कर शुद्ध पैक लोगों तक पहुंचाना. और धीरे -धीरे हमारे प्रोडक्ट के ऑर्डर बढ़ने लगे. "
ये सभी महिलाएं अपने घर का काम निपटा कर वर्कशॉप आ जाती. महिमा आगे बताती हैं -"हमारी उम्मीद जागी. हमने आंवला मुरब्बा और आंवला कैंडी प्रोसेसिंग कि ट्रेनिंग ली. शुरू में पच्चीस किलो का आंवला प्रोडक्ट बनाया. मांग बढ़ी और फिर पांच क्विंटल तक का प्रोडक्ट बनाया. " समूह कि हेमलता सिंह कहती हैं -"महिलाओं ने कृषि विज्ञान केन्द्र से आवला प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग ली. कृषि वैज्ञानिक सुरुचि सोनी द्वारा दिए गए प्रशिक्षण के बाद आंवला के प्रॉडक्ट बनाए."
समूह के माध्यम से महिलाएं वर्मी कंपोस्ट,रूईबत्ती,आंवला पॉवडर ,मुरब्बा सहित करीब 20 से ज्यादा तरह के प्रोडक्ट और घरेलू जरूरत की सामग्री तैयार कर रही हैं. समूह सदस्य रंजना कक्क्ड़ और रेखा राव कहती हैं -"यदि महिलाएं ठान ले तो कुछ भी कर सकती है. शुरू में प्रॉफिट पूंजी को कारोबार में लगा कर समूह को मजबूत बनाया. बाकि सभी सदस्यों की कमाई भी अब शुरू हो गई. "
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समूह अध्यक्ष तारे कहती हैं -"हम अन्य महिलाओं को भी खुद अपने पैरों पर खड़े होने और बिज़नेस करने के प्रशिक्षण देते हैं. ख़ुशी है कि आज हमारा समूह ग्वालियर और आसपास के इलाके में पहचान बना चुका है.