आज की 'अहिल्या बाई होल्कर'

मप्र के सबसे दूरस्थ महाराष्ट्र सीमा से लगे बुरहानपुर जिले के लिए शासन ने लेडी ऑफिसर आईएएस भव्या मित्तल को चुना. सतपुड़ा के घने जंगलों में माफियाओं का कब्ज़ा और कई आदिवासी इलाकों में पीने के पानी की जद्दोजहद जैसी चुनौतियों के बीच कलेक्टर का पदभार संभाला.

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Bhavya Mittal

Image Credits: Jan Sampark

देश में  मुग़ल कालीन हुकूमत और अंग्रेजों की गुलामी के पहले देश की कई रियासतों का दौर रहा. इस दौर में के राजा-महाराजा हुए. पर जिन्हें उंगलियों पर गिना जा सके ऐसे चर्चित और प्रजा में प्रिय कम ही हुए. खासकर महिला शासक. इनमें कुछ ऐसे शासक भी हुए जो अपने अंदाज़ और प्रजा के भले के लिए जीवन जीते रहे.उनमें से एक हैं मालवा प्रांत के होल्कर राजघराने की महिला शासक देवी अहिल्या बाई होल्कर.  

केवल 29 साल में विधवा और अपने ससुर मल्हारराव की मौत के बाद राजपाट संभाला. अहिल्या बाई ने वो मुकाम हासिल किया जो आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है. उनके निर्णय और धैर्यता मिसाल बन गई. मालवा प्रांत  में होल्कर राज की शासक अहिल्या बाई ने इंदौर के अलावा डेढ़ सौ किमी दूर नर्मदा किनारे महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया. गिने-चुने राजाओं में अहिल्या बाई होल्कर के दौर को आज भी आदर्श काल माना जाता है.अहिल्या बाई ने चाहे पर्यावरण हो ,धार्मिक कामकाज या कोई जरूरतमंद की मदद करना जैसे फैसले किताबों में पढ़ाए जा रहें हैं. 
 
हर साल की तरह इस साल भी 31 मई को उनकी याद में जयंती मालवा और निमाड़ में गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा. उनके लिए गए निर्णय साल 1795 से अब तक 228 सालों बाद भी प्रासंगिक है. आजादी के 75 सालों में भी कई ऐसी महिला अधिकारी हुईं जिनकी कार्यशैली और अंदाज़ साबित करता है कि उनमें प्रशासनिक क्षमता किसी से कम नहीं है. इनके निर्णय आमजन को लाभ पहुंचा रहे हैं. गौरव सप्ताह और देवी अहिल्या बाई होल्कर की जयंती को लेकर रविवार विचार ने ऐसे कुछ महिला प्रशासनिक अधिकारियों के विचार जाने. उनकी कार्यशैली को समझा. प्रशासनिक चुनौतियों और पारिवारिक जवाबदारियों के बीच ऐसी ही " आज की अहिल्या देवी होल्कर " (Devi Ahilya Bai Holkar) से मिलवाते हैं. जिनके निर्णय और काम का तरीका उन्हें चर्चा में रखता है. रविवार विचार इस साल यह गौरव दिवस ऐसी ही कई लेडी ऑफिसर के कामकाज को समर्पित करता है,जिनसे हम मिलवाते रहेंगे. 

जंगल के खातिर माफियों से जंग 

मप्र (Madhya Pradesh) के सबसे दूरस्थ महाराष्ट्र (Maharashtra) सीमा से लगे बुरहानपुर (Burhanpur) जिले के लिए शासन ने लेडी ऑफिसर आईएएस (IAS) भव्या मित्तल (Bhavya Mittal) को चुना. सतपुड़ा के घने जंगलों में माफियाओं का कब्ज़ा और कई आदिवासी इलाकों में पीने के पानी की जद्दोजहद जैसी चुनौतियों ने कलेक्टर (DM) का पदभार संभाला. कुछ माह में ही सैकड़ों हैक्टेयर इलाके में घने जंगलों का सफाया और लकड़ी माफियाओं के खौफ ने घुसना मुश्किल कर दिया. माफियाओं ने हमले इतने तेज़ किए कि वन विभाग के हाथ पैर फूल गए.आखिर हालात बिगड़ते देख डीएम भव्या मित्तल ने मोर्चा संभाला.

भव्या मित्तल बताती हैं - " लगातार धमकियों और माफियाओं के बढ़ते आतंक को सहन करना बर्दाश्त के बाहर हो गया.माफियाओं ने वन विभाग के कर्मचारियों, पुलिस के साथियों पर हमले शुरू कर दिए. बाहरी लोग वनवासियों को उकसाने लगे. जंगल की खूबसूरती खत्म सी होने लगी. मैंने खुद ने वहां डेरा डाला. घेराबंदी की. काफी समझाइश के बाद भी नहीं माने तो कई सख्त एक्शन लिए. कई सरकारी योजनाओं का लाभ देना बंद करवाया.कई को जिला बदर कर दिया. इस कदम पर मेरा बहुत विरोध हुआ. मैंने परवाह न की. पुलिस,वन और दूसरी सुरक्षा एजेंसी को निर्देश दिए. देखते ही देखते "ऑपरेशन खदेड़ना" शुरू किया. धीरे-धीरे हालात सामान्य हुए. जब लकड़ी माफियों को खदेड़ दिया. वनवासियों को प्रशासन की बात समझ आई. उनको वापस पीडीएस सहित दूसरी रोकी गई योजनाओं का लाभ देने लगे. यहां तक कि तालाब निर्माण और प्लांटेशन का काम भी उनको ही दे दिया. उनको आत्मनिर्भर बनाने में प्रशासन ने साथ दिया. वे अब खुश हैं. यह जंग सिर्फ पर्यावरण और जंगल बचने की थी."

भव्या मित्तल ने नल जल योजना (Nal Jal Yojna) में देश का पहला जिला बना कर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से अवार्ड लिया. बेमौसम तूफान और बारिश में केले की फसल उत्पादक किसानों के साथ सहानुभूति रख खेतों में पहुंच गई. 

आजीविका मिशन योजना में हजारों महिलाओं को प्रोत्साहित किया और आत्मनिर्भर बना दिया. इसके पहले नीमच में पदस्थ रह कर कोरोना काल में खुद ने जान जोखिम में डाल कर कंटेनमेंट एरिया में लोगों की मदद की. नीमच जिले की भरबड़िया पंचायत को कुपोषण मुक्त बनाने में खास भूमिका निभा कर भी भव्या मित्तल दिल्ली तक सुर्ख़ियों में आई थी. भव्या मित्तल भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में टॉप 50 में शामिल थीं.   

कलेक्टर भव्या मित्तल का कहना है - "अहिल्या बाई होल्कर समाज की आदर्श रहीं. परिवार में एक छोटी सी बेटी को भी उतना ही प्यार देना, पारिवारिक दायित्व निभाना और कड़े प्रशासनिक निर्णय लेना चुनौतीपूर्ण हैं. इनमें तालमेल बैठाना ही समाज की सेवा है. मेरा मकसद समाज के जरूरतमंद लोगों को मदद करना है.बुरहानपुर को और हैरिटेज प्लेस और पॉवर हेंडलूम में अधिक पहचान दिलाने के प्रयास चल रहे हैं." 

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