गायत्री देवी - आम जनता की खास 'महारानी'

एक राजकुमारी, महारानी, और राजमाता साथ के साथ वह एक साहसी और बेख़ौफ़ मैहला थीं, जिनकी पहचान उनके काम से होती है. उनके जन्मदिन पर उन्हें याद  करना इसीलिए भी ज़रूरी है क्यूंकि, वे भारत में खूबसूरती, शालीनता, और महिला सशक्तिकरण की सबसे बड़ी मिसाल बनकर सामने आई.

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रिसिका जोशी
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Gayatri Devi

Image Credits: Ravivar Vichar

"मैं पर्दा नहीं करुँगी!" यह शब्द थे एक महारानी के जिसनें हमेशा सिर्फ अपने दिल की सुनी और हर काम अपनी मर्ज़ी से किया. घर पर सब आयशा बालते थे, क्यूंकि उनकी मां ने यह नाम एक किताब में पढ़ा जो की उन्हें बहुत पसंद आया. उस समय में इस तरह से नाम रखना आम बात नहीं थी. कुंडली की वजह से इस लड़की का नाम पड़ा, 'गायत्री देवी'. गायत्री देवी ने बचपन से ही सिर्फ अपने मन की सुनना सीखा था. जयपुर राजघराने की यह Queen पूरी दुनिया में आज भी उनकी बोल्डनेस और विचारों के लिए जानी जाती है. गलत को गलत कहने की ताकत थी गायत्री में. पश्चिम बंगाल के महाराज की बेटी और जयपुर के सवाई मान सिंह बहादुर की तीसरी पत्नी, गायत्री जितनी खूबसूरत थीं, उतनी ही दिमाग से तेज़.

गायत्री देवी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि सवाई मन सिंह ने उन्हें 16 साल कि उम्र में ही शादी के लिए पूछ लिया था. वे छोटी थीं, उन्हें शादी करने के लिए सबने मन भी किया, लेकिन फिर भी उन्होंने जयपुर के महाराज से  शादी कर ली थीं. गायत्री ने कभी पर्दा नहीं किया. हलाकि, जयपुर में पर्दा स्यतेम हमेशा से था लेकिन वे अलग थीं. बहुत सारे इवेंट्स में गायत्री सिर्फ इसीलिए जाती ही नहीं थीं क्यूंकि उन्हें पर्दा नहीं करना था. गायत्री देवी इस प्रति को पूरी तरह से  खत्म कर देना चाहतीं थीं. उन्होंने एक गर्ल्स स्कूल (Maharani Gayatri Devi Girls Public School) शुरू किया. इस स्कूल में पढ़ने वाली हर लड़की ने गायत्री से बिना परदे के रहना सीखा. 

उनको लोग इतना पसंद करते थे. जयपुर लोकसभा सीट से 1962 में गायत्री देवी ने एक चुनाव लड़ा.  इस चुनाव में गायत्री ने जीतकर इतने वोट बटोरे कि उनका नाम सबसे ज़्यादा वोटों से जीतने के लिए 'गिनिस बुकऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में शामिल किया गया. वह पहली महिला हैं जिन्हें पहली बार ऐसी मेजोरिटी वोट्स मिले. यह उपलब्धि इतनी बड़ी थीं कि उस वक़्त के अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने भी उनकी तारीफ भी की. 

1971 में जब जयपुर को प्रिंसली स्टेट की जगह आम राज्य घोषित किया गया तब राजमाता गायत्री देवी की जिंदगी काफी बदल चुकी थी. वो तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रही थीं. 1975 में इमर्जेंसी लगते ही उन्हें और जयपुर के महाराज भवानी सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया और 6 महीने जेल में रखा गया. गायत्री देवी के लिए ये वक्त बहुत कठिन था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. जेल में थीं, लेकिन अपने कर्त्तव्य जेल से  भी पुरे कर रही थी. एक राजकुमारी, महारानी, और राजमाता साथ के साथ वह एक साहसी और बेख़ौफ़ मैहला थीं, जिनकी पहचान उनके काम से होती है. आज (23rd May) उनके जन्मदिन पर उन्हें याद  करना इसीलिए भी ज़रूरी है क्यूंकि, वे भारत में खूबसूरती, शालीनता, और महिला सशक्तिकरण की सबसे बड़ी मिसाल बनकर सामने आई.

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