रसोई ने बदली ज़िन्दगी

कोरोना काल में यह साबित कर दिया गीता स्थली ज्योतिसर निवासी शरणजीत कौर और दयालपुर निवासी राजवंत कौर ने. इस महिलाओं के पतियों का रोजगार बंद हो गया तो 2 सहेलियों ने मिल कर कमान संभाल ली. मिलकर एक रसोई शुरू की और आज इनके खाने की हर कोई तारीफ करता है. 

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रिसिका जोशी
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2020 पूरी दुनिया को याद रहने वाला ऐसा काला साल जिसने ना जाने कितनों की ज़िंदगियाँ बर्बाद कर दीं. ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जिसे कोरोना की मार ना सहनी पड़ी हो. ना जाने कितनो के व्यवसाय और नौकरियां ख़त्म कर दीं इस मनहूस साल ने. लेकिन जब बात अपने परिवार पर आती है तो महिलाएं किसी बात से नहीं डरती. कोरोना काल में यह साबित कर दिया गीता स्थली ज्योतिसर निवासी शरणजीत कौर और दयालपुर निवासी राजवंत कौर ने. इस महिलाओं के पतियों का रोजगार बंद हो गया तो 2 सहेलियों ने मिल कर कमान संभाल ली. मिलकर एक रसोई शुरू की और आज इनके खाने की हर कोई तारीफ करता है. 

शरणजीत कौर के पति की दुकान की सेल बहुत काम हो गयी थी जिसके कारण उनके परिवार को खाने तक के पैसे नहीं मिलते थे. बस फिर क्या था शरणजीत कौर ने स्वयं सहायता समूह से मदद लेकर अपनी रसोई शुरू करने की ठानी और अपनी सहेली रजवंत कौर के साथ मिल कर कुरुक्षेत्र के पंचायत भवन के बाहर अपनी रसोई शुरू की. शुरुआत में उनकी १ भी प्लेट नहीं बिक पति थी.  पूरा खाना उन्हें घर ले जाना पड़ता.  लेकिन हार मानाने का तो कोई सवाल ही नहीं था.  उन दोनों ने थान लिया था की घर के हालत सही करने ही है. बस उनके इसी लक्ष्य के आगे हालातों को झुकना पड़ा और आज अन्नपूर्णा रसोई इतने प्रसिद्ध है की लोग उनके हाथो के खाने के दीवाने बन चुकें है. इसी रसोई की बदौलत वो अपने घर का गुज़ारा बहुत अचे से चाला पा रही हैं. 

काम करना तब और भी आसान हो जाता हैं जब आपका परिवार आपके साथ खड़ा हो. दोनों महिलाओं के परिवार को अपनी बेटियों पर गर्व हैं. शुरुआत में पतियों को दर था कि कही ये भी व्यवसाय ना चला तो ? डर तो था लेकिन हौसला काम नहीं था. और आज सब कुछ इतनी आसानी से चलता देख, महिलाओं के पति बहुत गर्व महसूस करतें हैं. ऐसा नहीं था कि राजवंत और शरणजीत कौर का मनोबल कभी कमज़ोर नहीं पड़ा और इस समय उनके परिवार ने उनका साथ नहीं छोड़ा. सबने मिलकर अपने घर के हालात सुधार ही दिए. कोरोना में बौह्त से परिवारों कि ज़िंदगियाँ खराब हुई थी. पूरी दुनिया पर इन महामारी का असर देखने को मिला. लेकिन जब एक महिला ठान ले तो कुछ भी कर सकती हैं यह साबित  कर दिया इन 'रसोई सिस्टर्स' ने. SHG कि सहायता के इन महिलाओं ने अपना व्यवसाय शुरू किया.  ऐसे ना जाने कितनी महिलाएं हैं जो स्वयं सहायता समूहों से जुड़ कर अपने परिवार को संभाल रहीं हैं. ऐसी कहानियों से महिलाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए और एक कदम सशक्तिकरण की ओर बढ़ाना चाहिए.

शरणजीत कौर दयालपुर