'मैंग्रोव गर्ल्स' सफारी गाइड बन कर रही संरक्षण

मछुआरों के समुदाय में माना जाता है कि एक महिला नाव नहीं चला सकती. इस रूढ़िवादी सोच को चुनौती देते हुए वे मैंग्रोव सफारी गाइड बनी. आयशा सहित नौ कोली महिलाओं ने नाव चलाने को आजीविका कमाने का ज़रिया बनाया.

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मिस्बाह
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आयशा उनकी नाव में बैठे यात्रियों को नीले अरेबियन सागर (Arabian sea) को पार करते हुए, अपने तटीय गांव की और ले जाती है. आयेशा घुले महाराष्ट्र (Maharashtra) में गांव वेंगुर्ला के मछुआरों के कोली समुदाय से है. मछुआरों (fishermen) के समुदाय में माना जाता है कि एक महिला नाव नहीं चला सकती. इस रूढ़िवादी सोच को चुनौती देते हुए वे मैंग्रोव सफारी गाइड (Mangrove Safari Guide) बनी. आयशा सहित नौ कोली महिलाओं ने नाव चलाने को आजीविका कमाने का ज़रिया बनाया.

गांव वालों ने खाड़ी में खड़ी उनकी नावों को कई बार काटा, जिस वजह से नाव समुद्र में बह जाती. जब भी पर्यटक उनका पता पूछते, तो उन्हें कह दिया जाता कि यहां कोई मैंग्रोव पर्यटन नहीं होता है. लेकिन, गांव वालों के विरोध से हार मानने की बजाय वे डटी रहीं. जैसे-जैसे मैंग्रोव संरक्षण (Mangrove Conservation) और पर्यटन के बारे में समुदाय की जागरूकता बढ़ी, उन्हीं लोगों ने साथ देना शुरू कर दिया. 

अपने काम को बढ़ने में सरकारी योजना ने उनकी मदद की. महाराष्ट्र सरकार ने 2012 में  संरक्षण और आजीविका कार्यक्रमों के लिए एक विशेष इकाई, मैंग्रोव सेल के तहत इस पर्यटन पहल की शुरुआत की. फिर, 2017 में गणतंत्र दिवस पर, वेंगुर्ला के एक स्वयं सहायता समूह, स्वामिनी महिला बचत गत ने मैंग्रोव सफारी शुरू की. मांडवी खाड़ी में. पिछले कुछ सालो में, राज्य भर में कई महिलाओं को इस सरकारी योजना से लाभ हुआ है.

वेंगुर्ला की राधिका लोन आइसक्रीम की दुकान चलाती है, मछली बेचती है और मैंग्रोव सफारी करवाती है. इन महिलाओं को 'मैंग्रोव गर्ल्स' (Mangrove girls) के नाम से जाना जाता है. इन गाइडों ने मैंग्रोव प्रजातियों के मुश्किल वैज्ञानिक नाम भी सीखे है, जैसे एविसेनिया मरीना, एविसेनिया ऑफिसिनैलिस, ब्रुगुएरा सिलिंड्रिका और सोनेरटिया अल्बा. सरकार की ये पहल आजीविका गतिविधियों को बढ़ावा देता है, जिसमें समूह 90% सब्सिडी का हकदार होता है, जबकि एक व्यक्ति या एक एकड़ से अधिक निजी मैंग्रोव वाला भूमि मालिक 75% सब्सिडी का हकदार है.

कोली समुदाय मैंग्रोव संरक्षण की ज़रुरत को जानते है. लेकिन सरकार, वन विभाग और दूसरे संगठनों को इन्हें बचाने के लिए पर्यटकों और अन्य लोगों को शामिल करना होगा. ज़रुरत से ज़्यादा वृक्षारोपण या मैंग्रोव वनों की अधिक कटाई नुकसानदायक साबित हो सकती है. इस संतुलन को बनाये रखने से मरीन बायोडायवर्सिटी को बचाया जा सकता है.

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