आर्या का मूड मम्मी की डांट ने ऑफ कर दिया. मम्मी को हेल्थ की चिंता और आर्या को फास्ट फूड का चस्का. घर पहुंचते बेचारी मम्मी की डांट का शिकार बन गई. अपनी सहेलियों के साथ फास्टफूड का मजा लेकर घर घुसी ही थी कि मम्मी बरस पड़ी. आर्या करे भी तो क्या,उसको कभी पास्ता कभी मोमोस ही पसंद आते थे. नई लाइफ स्टाइल और बाहर होटल्स, कैफे में फास्ट फूड का कल्चर अब महानगरों से छोटे शहरों में भी पहुंच गया है. आर्या तो हफ्ते में दो-तीन बार इसी फास्टफूड की वजह से डांट खा ही लेती है. पर दिल है के मानता नही .... फ्रेंड सर्कल के साथ स्टॉल पहुंचते ही चाउमीन का आर्डर पक्का. आर्या जैसा हाल उसकी कई फ्रेंड्स का है. यंग जनरेशन के अधिकांश लोगों का यही हाल है. घर परिवार के बड़े लोग इस फास्ट फूड प्रोडक्ट को सेहत के लिए अच्छा नहीं मानते, पर खुलती दुनिया में फास्ट फूड एकतरफा यंग जनरेशन में जगह बना चुका है. वहीं परंपरागत सब्जी-रोटी से दूर होती इस नई पीढ़ी को लेकर परिवार चिंतित हैं.
ऐसी फिक्रमंद परिवार खासकर मां और हेल्थ कॉन्शियस लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. एक जगह जहां यंग जनरेशन फास्टफूड भरपेट खा सकते हैं और हेल्थ को लेकर चिंता की कोई बात ही नहीं. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ खुले इस पहले 'मिलेट्स कैफे' इसी का उदाहरण देशभर में छाया गया. यह कैफे फास्टफूड का जैसा स्वाद तो दे ही रहा है वही सेहत भी बेमिसाल कर रहा है. भूले बिसरे हो चुके मिलेट (मोटा अनाज) की रेसिपी का कुछ महिलाओं ने ऐसा प्रयोग किया कि अब कॉन्टिनेंटल फास्ट फूड मटेरियल को सीधे टक्कर दे रहा है.लोकप्रिय इतना हुआ कि अब रायपुर और अन्य जगह कैफे खुलने लगे हैं.
रायगढ़ की मेन रोड पर इस मिलेट्स कैफे में घुसते ही सुकून मिलता है. अपने घर में भी फास्ट फूड और इससे सेहत को हो रहे नुकसान से हमेशा चिंता करने वाली रोहिणी पटनायक ने कुछ महिलाओं से साथ मिलकर विकास महिला संघ (VMS) नाम का पहले से बनाया हुआ SHG के बैनर पर कुछ नया करने का सोचा. सबने मिलकर मोटे अनाज का सेहत से भरपूर कैफे शुरू करने की ठानी. जिला प्रशासन से बात हुई साथ की बैंक को भी मिलाया . SHG को मिलने वाली सभी योजनाओं और लोन का सहारा लिया. विश्वास था कि हेल्दी फूड के साथ खुद के पैरों पर खड़ा हुआ जा सकता है और हौसला मिला SHG को नया काम मिलते ही. इस हौसले को तत्कालीन कलेक्टर भीम सिंह और महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों की ताकत मिली. सभी ने उनके SHG को न केवल सराहा बल्कि सहारा भी दिया. विकास महिला संघ (VMS) SHG को अब मिलेट के फायदे और इससे नई डिश तैयार करना आ गया था. बस अब जुबान और दिल में घर करने की बारी थी. लेकिन सबकुछ इतना आसान भी नहीं था. युवाओं और फास्ट फूड के शौकीन लोगों के बीच स्वाद और स्वास्थ दोनो देना आसान हो भी कैसे सकता है. कोई सोच भी नही सकता कि इस मोटे अनाज से पास्ता या मोमोस भी बन सकते हैं. SHG सदस्य वीनामिरी, रामेश्वरी यादव बताती है-" मिलेट्स चीला,रागी डोसा, मंचूरियन,कोदो बिरयानी की टेस्टी रेसिपी पर बहुत मेहनत की.इनके स्वाद को बढ़ाने और डिश प्रेजेंटेशन के लिए अनुभव शेफ से सहयोग लिया.बिलासपुर से उन्हें बुलाया" . आखिर मई 2022 को वो दिन आ ही गया जब मिलेट्स कैफे स्वाद और टेस्ट के दीवानों के लिए खुल गया.
रोहिणी के चेहरे पर गर्व और आत्मसम्मान को कैफे काउंटर पर खड़े होने के दौरान पढ़ा जा सकता है. सदस्य एनुअल नाहर, मुस्तरी बेगम बताती है-"यह मार्केट में यूनिक था, लेकिन चुनौतियों से वह घबराई नहीं". शुरू में इक्का-दुक्का लोग ही कैफे में आए. उन ग्राहकों को मिलेट से बनी चीजों को सेहतमंद बताकर परोसा. असर यह हुआ कि ग्राहकों की धीरे-धीरे चहल-पहल बढ़ने लगी. वह बताती हैं- "रोज 50 ग्राहक तो आते ही हैं. वीकेंड में इनके संख्या बढ़कर 80-90 हो जाती है. अच्छी सेहत और फास्टफूड का लोग खुद प्रचार अब कर रहे हैं.
मिल्लेट्स कैफ़े में नए स्वाद का मज़ा लेते फ़ास्ट फ़ूड शौक़ीन (Photo Credits: Ravivar vichar)
सदस्यों का कहना है कि शुरुआत में प्रशासन ने साथ दिया. कुछ महीने में ही आत्मनिर्भर हो गए. रोहिणी को खुशी का पल अब तक याद है जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मिलेट्स और आधुनिक तैयार डिशेस को बढ़ावा देने के लिए विधानसभा में सदस्यों को परोसा. विकास महिला संघ (VMS) SHG की खुशी सातवें आसमान पर थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा-"जब भी छत्तीसगढ़ जाएं,रायगढ़ के मिलेट कैफे में जरूर जाएं." इसके बाद तो कैफे में स्वाद और स्वास्थ के दीवानों की संख्या दुगनी हो गई. रोहिणी चाहती है कि इसे अभी और फूड संस्कृति की मुख्यधारा में लाना है. इससे सूखे पैकेट बड़ी, पापड़ भी तैयार करवाए जा रहे,जिससे ग्राहक खरीद कर घर ले जाएं.मिलेट की पौष्टिकता को समझाने लिए राज्य के ही 12 अन्य जिलों में मिलेट्स से ही तैयार सूखे पैकेट प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना अंतर्गत सप्लाई किए हैं. अब मिलेट्स में ज्वार,बाजरा,रागी,कोदो कुटकी की मांग और बढ़ रही है.यह समूह सीधे कृषि विभाग और किसानों से यह अनाज खरीद रहा है.
मिलेट्स की खेती को प्रोत्साहित करने और सेहत को बढ़िया रखने की यह पहल छत्तीसगढ़ सरकार ने 2022 में ही शुरू कर दी, जबकि 2023 को ग्लोबल मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया. आर्या जैसी यंग जनरेशन के साथ फास्टफूड खाने के शौकीनों को भी अब इंतजार है कि देशभर में मिलेट्स कैफे खोलें जाएं.
मिल्लेट्स कैफ़े की डिशेस (Photo Credits: Ravivar vichar)
मिल्लेट्स कैफ़े की डिशेस (Photo Credits: Ravivar vichar)