नंदीपूरा को बनाया 'शराब की दुकान मुक्त' ग्रामीण क्षेत्र

भानुमति ने अपने गाँव की महिलाओं को इकट्ठा किया और सितंबर 2019 में एक आंदोलन शुरू किया. भानुवती के साथ ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया और राज्य की राजधानी जयपुर से लगभग 270 किलोमीटर दूर स्थित अपने गाँव में छह शराब की दुकानों को बंद करने में कामयाब रहीं.

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रिसिका जोशी
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Nandipura

Image Credits: Gaon Connection

राजस्थान का एक गांव नंदीपूरा, जहां 2019 से पहले शराब पीना बहुत आमा बात थी. शराब की ६ दुकाने थी , जिन पर गांव के आदमी जाते और आए दिन दारु खरीद के पीते थे.  दारु पीकर अपने बीवी बच्चों के साथ मारपीट करतें और अगले दिन फिर दारु पिने के लिए तैयार. महिलाएं कुछ बोल नहीं पाती क्यूकि अपने पतियों पर निर्भर थीं. 

भानुमति भी इसी गांव की महिलाओं में से एक, लेकिन सबसे अलग थीं. उन्होंने ठान लिया की वो अब और ज़्याति नहीं सहेंगी. उन्होंने अपने गाँव की महिलाओं को इकट्ठा किया और सितंबर 2019 में एक आंदोलन शुरू किया. जिला स्तर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की ली। भानुमति ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया है और राज्य की राजधानी जयपुर से लगभग 270 किलोमीटर दूर स्थित अपने गाँव में छह शराब की दुकानों को बंद करने में कामयाब रहीं.भानुमति बतातीं हैं- “मैं सिर्फ 16 साल की थी जब मेरी शादी एक किसान से हुई थी. मेरे पति ने हमारी शादी के 13 साल बाद शराब पीना शुरू कर दिया और मेरा जीवन नर्क बना दिया." उनके पति थान सिंह की शराब की लत के कारण उन्हें हर दिन मार पीट सहन करनी पड़ती थी. बनुमाति बतातीं हैं कि- "शराब के लिए गांव के आदमी घर का सामान बेच दिया करते थे, इसी कारण कई परिवार कर्ज में डूब गए." 

भानुवती एक स्वयं सहायता समूह, 'गणेश जी महिला बचत समिति' की सदस्या थीं. शराबबंदी का ख्याल उन्हें इस समूह कि मदद से आया.  यहीं पर वह धौलपुर स्थित गैर-लाभकारी मंजरी फाउंडेशन के संपर्क में आईं. SHG की इन्हीं बैठकों में उन्होंने अपने अधिकारों के बारे में जाना. यहीं उन्होंने फैसला कर लिया था कि वे खुदकी और अपनी साथियों के जीवन को बदल देंगी. भानुदेवी ने भी ठान लिया था कि वो हर नहीं मानेंगी. अक्टूबर 2019 में धौलपुर जिले के पुलिस मुख्यालय की ओर मार्च लेकर वे निकलीं. उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सामने बड़ा शोर मचाया और उनसे मदद मांगी. स्थानीय पुलिस ने शराब की दुकानों पर छापा मारा और तब से नंदपुरा 'शराब की दुकान मुक्त' ग्रामीण क्षेत्र बन गया. 

धौलपुर में मंजरी फाउंडेशन के टीम लीडर विनोद कुमार ने बताया- “गाँव में SHG बैठकों मे महिलाओं को सरकारी योजनाओं के साथ-साथ उनके कानूनी और संवैधानिक अधिकारों के बारे में बताया जाता है. यह उन्हें अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता है." उन्होंने कहा-" वे यह देखकर खुश हैं कि महिलाओं ने अपने गाँव में बदलाव लाया और इसे शराब मुक्त कर दिया." 

जो पैसे अब तक आदमी शराब पिने में खरच कर रहा था , वही पैसे बचाकर ये महिलाएं SHG के साथ छोटे व्यवसाय शुरू करने में लगा रहीं हैं. भानुवती ने बसई नवाब गाँव के सहेली बाजार में एक कपड़े की दुकान खोली है, और एक अन्य स्थानीय महिला रेखा देवी की उसी बाजार में आभूषण बेचने की दुकान है. भानुवती ने बताती है - "जो पुरुष कभी शराब पीने के कारण कर्ज में डूबे हुए थे, वे अब अपनी पत्नियों को व्यवसाय चलाने में मदद कर रहे हैं. भानुमति के इस कदम से उस गांव कि हर महिला और बच्चे कि ज़क्सिन्दगी सवर गयी.  घरेलु हिंसा सहन करना कही भी सही नहीं हैं.  इस खिलाफ आवाज उठाने से ही इसे रोका जा सकता है.  हर महिला अगर घरेलु हिंसा के खिलाफ़ आवाज उठाने कि था ले तो महिलाओं के खिलाफ़ होने वाले सारे अपराध ख़तम होने से कोई नहीं रोक सकता. 

SHG स्वयं सहायता समूह राजस्थान गांव नंदीपूरा राजधानी जयपुर गणेश जी महिला बचत समिति धौलपुर मंजरी फाउंडेशन विनोद कुमार