लड़की है ,ज़्यादा पढ़ाओ मत, खेलने मत जाने दो, आख़िरकार शादी कर घर ही तो संभालेगी... औरत बनी ही सिर्फ चूल्हा-चौका देखने के लिए है... ऐसी कई बातें सुनी होंगी आपने. एक महिला क्या करेगी, यह पहले से ही समाज ने तय कर रखा है. हर बात पर उन्हें रोकने की कोशिश की जाती है. क्यूंकि यह लोग जानते है, अगर इन्हे अपनी मनमर्ज़ी का करने दिया तो इनमें इतनी क्षमताएं है कि ये कुछ भी कर सकतीं है. कुछ को रोक लिए जाता है, लेकिन कुछ होती है नीरू यादव जैसी, जिन्हे रोकना किसी के बस की बात नहीं. नीरू यादव, जिन्हें पूरा राजस्थान 'हॉकी वाली सरपंच' के नाम से जनता है, झुंझुनू जिले के गांव लंबी अहीर की सरपंच है.
राजस्थान में इन्हें लोग बहुत से कामों के लिए जानते है. महिलाओं के लिए आए दिन नए पहलों को जारी करतीं है नीरू यादव. गांव का विकास और महिलाओं का सशक्तिकरण ही उनकी प्रार्थमिकता है. अपने समुदाय में खेती के महत्व को पहचानते हुए, उन्होंने Farmer Producer Organization (FPO) स्थापित करने के लिए काम किया कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले. उन्होंने स्थानीय सरकारी स्कूल को दोबारा बनवाने और उसका डिजिटलीकरण करने का काम भी किया ताकि गाँव में बच्चों के लिए एक आधुनिक और बेहतर सीखने का माहौल उपलब्ध हो.
नीरू यादव का महिला सशक्तिकरण को लेकर कितना झुकाव है यह कई पहलों में स्पष्ट दिख जाता है. वह समय समय पर कौशल निर्माण कार्यशालाओं और स्वयं सहायता समूहों (SHG) का आयोजन करती हैं, जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए राह समझ आए. नीरू यादव ने अपने 2 साल की वेतन, बचाकर सामाजिक बाधाओं के बावजूद, अपने गांव में एक महिला हॉकी टीम तैयार की जो पंचायत और ब्लॉक स्तरों पर जीती. वह अपनी टीम को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का सपना देखती है.
नीरू यादव के विकास की यह पहल पुरे राजस्थान के लिए एक मिसाल बन चुकी है. वे महिलाओं के लिए उल्लेखनीय काम कर रहीं है. उनके गांव की महिलाएं सशक्त है, और self help group से जुड़कर अपने जैसी और भी महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम कर रहीं है. देश में नीरू यादव जैसी और महिलाओं की ज़रूरत है जो खुद तो महिला सशक्तिकरण की मिसाल हो ही, और साथ ही उनकी प्रजाति के लिए दिन रात प्रयास कर रहीं हो.