सखियों ने दिया पशुओं को नया जीवनदान

पशु सखी बन जाने के बाद इन महिलाओं में एक नया आत्मविश्वास दिखाई देने लगा. "हमारे मवेशी-हम ही डॉक्टर" इस अभियान के बाद महिलाओं में अलग ही उत्साह है. राष्ट्रीय आजीविका मिशन की इस योजना ने प्रदेश में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को 'वेटेनरी डॉक्टर' बना दिया.

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veterinar doctor

बड़वानी में पशु सखियां ट्रेनिंग के बाद डॉक्टर स्टाफ और दूसरे सदस्यों के साथ (Image Credits: Ravivar vichar)

पशु सखी (Pashu Sakhi) बन जाने के बाद इन महिलाओं में एक नया आत्मविश्वास दिखाई देने लगा. "हमारे मवेशी-हम ही डॉक्टर" इस अभियान के बाद महिलाओं में अलग ही उत्साह है. अब ये महिलाएं इलाज के बिना पशुओं को  उनकी ही आंखों के सामने दम तोड़ते नहीं देखेंगी. राष्ट्रीय आजीविका मिशन (NRLM) की इस योजना ने प्रदेश में स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) की महिलाओं को 'वेटेनरी डॉक्टर' (Veterinary Doctor) बना दिया.17 दिनों की इस संभागीय ट्रेनिंग के परिणाम नज़र आने लगे हैं.अब गांव में पशु पालकों को इमरजेंसी में डॉक्टर (doctor) का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. शुरुआती इलाज वो खुद कर सकेंगी.इन सखियों ने गांव में पशुओं को नया जीवनदान दे दिया.   

SHG become veterinary doctor

सीहोर के गांव ललियाखेड़ी की पशु सखी ममता भारती (Image Credits: Ravivar vichar)

आदिवासी जिला बैतूल के गांव सैलया की पुष्पा मिश्रा कहती है - "गांव में मुझे बताया कि एक गाय बीमार है. वह चारा भी नहीं खा पा रही. मैंने चेक किया और कृमि खत्म करने की दवाई दे दी. कुछ समय बाद गाय की तबियत ठीक हो गई.तड़पती गाय को नॉर्मल होते देख मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. समाज सेवा मेरा मकसद रहा. तीन साल पहले हमने गांव में बजरंग स्वयं सहायता समूह बनाया. जब पशु सखी योजना की ट्रेनिंग मिली ,उसके बाद गांव में ऐसा लगा जैसे कोई त्यौहार है. मैं गांव में हर मवेशी का ध्यान रख रही हूं. हमारा काम पहले शुरुआती इलाज करो. पशु अस्पताल और पशु पालक के बीच हम लोग ब्रिज का काम कर रहे. गांव में 350 से ज्यादा गाएं और दूसरे पशु हैं."

पूरे प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को लेकर एक प्रयोग हुआ. इस प्रयोग की सफलता भी नज़र आने लगी है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका  मिशन ने 'पशु सखी' प्रोजेक्ट (Project) अंतर्गत 17 दिन की ट्रेनिंग करवा कर स्वयं सहायता समूह की सैकड़ों महिलाओं को 'पशु सखी' बना दिया. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अनुसार अब प्रदेश के अलग-अलग जिले से स्वयं सहायता समूह की सदस्यों को लेवल पर ट्रेनिंग दिलवाई. अब तक 4668 सदस्य पशु सखी बन चुकीं हैं. ये सखियां अपने ही गांव में किसी भी बीमार मवेशी का शुरुआत में इलाज कर वेटेनरी डॉक्टर को सूचना देगी. A -हेल्प के तहत ये ट्रेनिंग हुई. ये सखियां ब्रिज की भूमिका में होंगी. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, पशु पालन विभाग के द्वारा या ट्रेनिंग (Training) आयोजित की गई. 

SHG become veterinary doctor

बैतूल के सलैया गांव में पशुओं का इलाज करती सखी पुष्पा मिश्रा (Image Credits: Ravivar vichar)

शासन ने आदिवासी (Tribes) जिलों में खास फोकस किया. उमरिया, बैतूल, सीहोर सहित कई जिलों की सदस्य लगातार ट्रेनिंग ले रहीं हैं. बैतूल के जिला परियोजना प्रबंधक सतीश पंवार कहते हैं - "इस योजना का लाभ सीधे गांव के पशु पालकों को मिल रहा है.बैतूल में ही लगभग 30 महिला सदस्य पशु सखी की ट्रेनिंग ले चुकीं हैं. इसके पहले भी हमने प्रयास कर 57 महिलाओं को इसकी ट्रेनिंग दिलवाई ,जो गांव में पशुओं की देखभाल कर रहीं हैं." यह ट्रेनिंग हर संभाग में चल रही है. उमरिया के जिला परियोजना प्रबंधक प्रमोद शुक्ला बताते हैं - "आदिवासी इलाकों में इमरजेंसी सुविधा नहीं मिल रही थी. पशु सखी एक वरदान है. हमारे जिले की कई सदस्यों ने भी ट्रेनिंग ले ली. "

सीहोर जिले के ललियाखेड़ी गांव की ममता भारती बताती हैं -"मेरे गांव में ढाई सौ से ज्यादा मवेशी हैं. ट्रेनिंग के बाद गांव में सभी खुश हैं. मेरे पास सप्ताह में 7-8 बीमार मवेशी को पशु पालक लाते हैं. मुझे ख़ुशी होती है कि कई समय पर इलाज न मिल पाने के कारण दम तोड़ देते थे. मैं टीका, इंजेक्शन, दवाई देना सीख गई. इलाज शुरू कर मैं पशु विभाग को सूचना दे देती हूं.मैंने राधा स्वयं सहायता समूह बना कर यह काम किया." इसी तरह उमरिया जिले की सखियां भावना वर्मा, विमला साहू,सुमन साहू ,आशा बाई जैसे कई महिलाएं पशु सखी बन कर अपने गांवों में बीमार पशुओं का इलाज कर रहीं हैं. 

पशु सखी ट्रेनिंग को लेकर आदिवासी बहुल जिले के जिला परियोजना प्रबंधक योगेश तिवारी कहते हैं - " ऐसी ट्रेनिंग ले चुकी 25 सदस्यों को डेयरी बोर्ड द्वारा A -Help सखी प्रमाण-पत्र (Certificate) बांटे गए और पुरस्कार भी दिए गए. इसमें ट्रेनिंग में पशु पालन विभाग के डॉ.अनिल ठाकुर, सारिका चौहान सहित कई डॉक्टर्स ने ट्रेनिंग दी. "

पूरे प्रदेश में चल रही पशु सखी ट्रेनिंग को लेकर पशु पालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल खुद जानकारी ले रहे हैं. बड़वानी जिले में वे खुद पहुंचे.मंत्री प्रेमसिंह कहते हैं - " यह योजना गांव के लिए कारगर साबित हुई. इससे बीमार पशुओं को गांव की बहनें पशु सखी बन कर इलाज कर सकेंगी. पशुओं को इमरजेंसी में इलाज मिलेगा, जिससे उनकी मौत का आंकड़ा कम होगा. दूध और डेयरी प्रोडक्ट उत्पादन बढ़ने से पशु पालकों की आर्थिक स्थिति भी ठीक होगी. " 

ट्रेनिंग के बाद ये सखियां वेक्सिनेशन,दवाइयां देकर नस्ल बेहतर करने के लिए लगातार पशु  पालकों की काउंसलिंग कर रहीं हैं.

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