ओरा इनफिनी के साथ जगमगाया देहरादून

उस वक़्त इंडस्ट्रियल एरिया में ज़्यादा महिलाएं नौकरी नहीं करतीं थीं. कमलप्रीत ने मन में तभी ठान लिया था कि वो कुछ तो ऐसा करेंगी जिससे लोगो का यह भ्रम टूट जाए कि लड़कियां सिर्फ़ कपड़े, शिल्प और खाना पकाने के फील्ड में ही नौकरी कर सकतीं है. 

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रिसिका जोशी
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Image Credits: FII

कहा जाता है कि बेटी घर की रोशनी होती है. अगर घर में बेटी ना हो तो सूना लगता है जैसे घर कि रौनक चली गयी हो. ये ही महिलाएं जब काम करतीं है तो खुद का और परिवार के नाम को भी रोशन कर देतीं है. देहरादून की कमलप्रीत कौर ने कुछ ऐसा ही किया जिससे उन्होंने अपने साथ 3500 दिहाड़ी मजदूर या खेतिहर महिलाओं को आर्थिक रूप से आज़ाद बना दिया. 'ओरा इनफिनी' नाम की कंपनी अब एलईडी बल्ब बनाकर और बेचकर स्थायी आजीविका अर्जित करने में सक्षम हैं.

कमलप्रीत कॉमर्स विषय से ग्रजुएटेड है, जिन्हें तकनीकी कौशल का कोई अनुभव नहीं था. इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट से अपना MBA पूरा करने के बाद उन्होंने इसी फील्ड में 2007-08 में नौकरी की. उस वक़्त इंडस्ट्रियल एरिया में ज़्यादा महिलाएं नौकरी नहीं करतीं थीं. कमलप्रीत ने मन में तभी ठान लिया था कि वो कुछ तो ऐसा करेंगी जिससे लोगो का यह भ्रम टूट जाए कि लड़कियां सिर्फ़ कपड़े, शिल्प और खाना पकाने के फील्ड में ही नौकरी कर सकतीं है. 

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Kamalpreet Kaur (Image Credits: Insight success)

उनका यह सपना 2015 में साकार भी हुआ. महिला-केंद्रित डोमेन के बजाय, उन्होंने पुरुष-प्रधान उद्योग में कदम रखने का फैसला किया और इलेक्ट्रिकल्स में अपना व्यवसाय शुरू किया. वे कहतीं है - "महिलाएं हमेशा कपड़े, शिल्प और खाना पकाने में शामिल होती हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है कि हम कुछ और नहीं कर सकते. हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी अपनाने का मौका देने की जरूरत है; एलईडी इसमें एक प्रवेश मात्र है. इसी सोच के साथ मैंने एलईडी लाइट का बिजनेस शुरू किया, जिसके लिए करीब 3,500 महिलाओं को ट्रेनिंग दी. हम स्वयं सहायता समूहों और जेलों में महिला कैदियों के साथ भी काम कर रहे हैं." वे आगे कहती हैं - ''जब सबने मिलकर काम करना शुरू किया तो हम आगे बढ़ने लगे.”

देहरादून में 'एलईडी बल्ब प्रशिक्षण पहल' इस बात का एक चमकदार उदाहरण है. SHG की महिलाएं इससे एक बहुत बड़ी सीख ले सकती है। वो चाहे तो इस तरीके के प्रशिक्षण अपनी समूह की महिलाओं को भी दिलवा सकती है जिससे उनके लिए एक नई दिशा में काम करने की उम्मीद जागेगी। तकनिकी क्षेत्र में महिलाओं के लिए काम की कोई कमी नहीं है। अभी भी यह फील्ड में महिलाओं की एंट्री नहीं हुई। महिलाएं, चाहे विज्ञान हो या रसोई का ज्ञान, अगर ठान ही ले तो सब कुछ कर सकतीं है. देहरादून के इस महिला समूह ने यह बात साबित कर दी. बस मौका मिलने का इंतज़ार रहता है महिलाओं को. वब मुश्किल चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, हासिल करने का ठान ले तो कर के ही मानती है.

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