गौरवी कुमारी है डिज़ाइनर राजकुमारी

भारतीय ब्लॉक प्रिंट्स को पूरी तरह से नया अवतार देते हुए 'बोहो' दिशा में ले जा रहे हैं. ड्रेसेस, स्कर्ट्स, सारंग्स और बीच ड्रेसेस को ब्लॉक प्रिंट में डिज़ाइन कर नए फैशन ट्रेंड को आगे बढ़ा रहे हैं.

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मिस्बाह
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Princess Gaurvi Kumari

Image Credits: Hello India

वैसे तो अब हमारे देश में राजा रानी शासन नहीं करते. क़िस्से-कहानियों में उनके बारे में पढ़कर मन में सवाल आता है, "आज अगर राजा रानी होते तो कैसे होते ?" इस सवाल के जवाब के नज़दीक पहुंचने की कोशिश करते हैं इस दौर की राजकुमारी गौरवी कुमारी के बारे में जानकर. राजा रानी तो नहीं, पर कुछ राजघराने आज भी हैं. गौरवी कुमारी जयपुर राजघराने की राजकुमारी है. वे अपने एलिगेंट फैशन स्टाइल और राजस्थानी क्राफ्ट को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है. हाल ही में वे डिओर फैशन शो में भी नज़र आई थी.  

Princess Gaurvi Kumari

Image Credits: The Daily Hunt

सिटी पैलेस के भीतर कई डिज़ाइन प्रोजेक्ट्स की बागडोर संभालने के साथ, वह महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी काम करती हैं. वे दिन के ज़्यादातर समय बादल महल में महिलाओं के साथ डिज़ाइन के नए आइडियाज पर बात करती दिखाई देती है. गौरवी दीया कुमारी फाउंडेशन (पीडीकेएफ) के तहत चलने वाले PDKF स्टोर्स को सपोर्ट करती है. वे राजस्थानी महिलाओं के हेंडीक्राफ्ट को दुनियाभर में पहुंचाने के लिए काम कर रही है.  

Princess Gaurvi Kumari

Image Credits: PDKF

भारत में कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा उद्योग हस्तशिल्प या हैंडीक्राफ्ट है. 2013 में स्थापित, पीडीकेएफ राजस्थान में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में काम करता है. एनजीओ महिलाओं को दूसरे सबसे बड़े उद्योग- हेंडीक्राफ्ट में रोज़गार तलाशने के लिए प्रेरित करता है. एक दशक पूरा कर चुके इस एनजीओ के आज पांच सेंटर्स हैं. हर सेंटर एक अनोखी शिल्प कला के लिए जाना जाता है. गौरवी सभी कलाकार महिलाओं के साथ इन सेंटर्स की संख्या बढ़ाने और दुनिया भर में कई और पीडीकेएफ स्टोर शुरू करने का सपना देखती है. 

Princess Gaurvi Kumari

Image Credits: The Daily Hunt

भारतीय ब्लॉक प्रिंट्स को पूरी तरह से नया अवतार देते हुए 'बोहो' दिशा में ले जा रहे हैं. ड्रेसेस, स्कर्ट्स, सारंग्स और बीच ड्रेसेस को ब्लॉक प्रिंट में डिज़ाइन कर नए फैशन ट्रेंड को आगे बढ़ा रहे हैं. पीडीकेएफ महिलाएं बीडिंग, हैंड-ब्लॉक प्रिंटिंग, पेंटिंग और कढ़ाई कर ड्रेसेस बनती हैं, जिसकी मांग आज कई देशों में बढ़ रही है. ये महिलाएं कपड़े के स्क्रैप को बड़े सलीके से एक साथ पैच करती हैं और बैग, स्क्रंची, पाउच, पोटली आदि बनाती हैं.

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Image Credits: Instagram/Gauravi Kumari

न्यू यॉर्क में जीन्स और घर आने के बाद गौरवी को शिफॉन की साड़ियां पहनना पसंद है. वह अपनी भारतीय संस्कृति और राजस्थानी विरासत को जीवित रखना चाहती है. आज देशभर में महिलाएं, ख़ासकर ग्रामीण महिलाएं स्वयं सहायता समूह के ज़रिये पारंपरिक हैंडीक्राफ्ट को जीवित रखे हुए हैं.  ऐसे में, उन्हें इंडस्ट्री एक्सपर्ट से मिली सलाह और मार्गदर्शन, ग्लोबल मार्केट तक पहुंचने में मदद कर सकता है. 





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